136 बैंकों में करीब 25 हजार करोड़ रुपये की राशि का कोई नहीं है दावेदार, जानें क्या है मामला

31 दिसम्बर 2019 से 31 दिसम्बर 2020 के बीच बिना किसी दावेदारी वाली बैक जमा रकम में करीब छह हजार करोड़ रुपये की बढ़त हुई.

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बैंक अकाउंट को स्थायी रूप से बंद करने के लिए, कस्टमर को खुद जाकर ब्रांच का दौरा करना आवश्यक है. ब्रांच में, अकाउंट डी-लिंकिंग फॉर्म, चेक बुक, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या उसके पास मौजूद बैंक के किसी भी अन्य सामान के साथ अकाउंट क्लोजर फॉर्म सबमिट करना होगा.

बैंक अकाउंट को स्थायी रूप से बंद करने के लिए, कस्टमर को खुद जाकर ब्रांच का दौरा करना आवश्यक है. ब्रांच में, अकाउंट डी-लिंकिंग फॉर्म, चेक बुक, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या उसके पास मौजूद बैंक के किसी भी अन्य सामान के साथ अकाउंट क्लोजर फॉर्म सबमिट करना होगा.

कुछ आंकड़े दिखते सामान्य हैं, लेकिन खासे अहम होते हैं. संसद में पेश किए इन दो आंकड़ो को हो लीजिए. लोकसभा में वित्त मंत्रालय ने जानकारी दी कि शेडयूल कॉमर्शियल बैंक (12 सरकारी बैंक+22 निजी बैंक+11 स्मॉल फाइनेंस बैंक+02 पेमेंट बैंक+43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक+46 विदेशी बैंक : कुल 136 बैंक) में करीब 25 हजार करोड़ रुपये की राशि ऐसी है जिसका कोई दावेदार नहीं. फिर राज्यसभा में वित्त मंत्रालय ने बताया कि 5.82 करोड़ जन धन खाते निष्क्रिय हैं, जो कुल खातों का करीब 14 फीसदी है.

इन आंकड़ों का क्या महत्व है और इनके बीच क्या है संबंध, उसके पहले यह जान लीजिए कि कब कोई बैंक खाता निष्क्रिय होता है और कब किसी खाते में पड़ी रकम बिना किसी दावे की हो जाती है. रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के मुताबिक अगर दो साल तक खाते में ग्राहक ना तो स्वयं कोई लेन-देन करें और ना ही किसी थर्ड पार्टी की ओर से पैसा जमा कराया जाए या फिर उसे भुगतान किया जाए तो वो वह खाता निष्क्रिय खाता माना जाएगा. ध्यान रहे कि बैंक इस खाते से विभिन्न तरह के चार्ज के लिए पैसा निकाले या फिर ब्याज जमा कराए तो भी उस खाते को सक्रिय नहीं माना जाएगा.

खाते का निष्क्रिय होना एक ओर जहां गड़बड़ी करने वालों को मौका देता है, वहीं खाते में जमा रकम के गुमनाम होने की पहली सीढ़ी भी बनती है. आप इसे इस तरह समझिए. अगर साल भर तक आपने खाते को छुआ तक नहीं, तो बैंक आपसे सम्पर्क करेगा. खाता धारक से नहीं जुड़ पाने की सूरत में बैंक उस व्यक्यि से सम्पर्क साधने की कोशिश करेगा, जिसने खातेदार का परिचय बैंक से कराया. अगर खातेदार ने लेन-देन की वजह बता दी, तो एक और साल तक बैंक खाते को सक्रिय मानेगा और खातेदार से लेन-देन को कहेगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर दो साल के बाद खाता निष्क्रिय करार दे दिया जाएगा.

ऐसी कार्रवाई का मकसद ग्राहक के लिए किसी तरह की परेशानी पैदा नहीं करना है, बल्कि खाते पर विशेष नजर रखने की कोशिश है. ऐसे खातों को लेकर जोखिम ज्यादा होता है, क्योंकि गड़बड़ी करने वाले बैंक कर्मचारी इनका इस्तेमाल संदिग्ध लेन-देन के लिए कर सकते हैं, इसी को ध्यान में रखते हुए ऐसे खातों का विशेष वर्गीकरण कर उनपर नजर रखी जाती है. दूसरी ओर ग्राहक चाहें, तो जरुरी कार्यवाही कर मसलन अपनी पहचान साबित करना, हस्ताक्षर की पुष्टि करना और फिर लेन-देन कर खाते को सक्रिय करा सकते हैं.

अब ऐसी परिस्थिति सोचिए, जब दो साल के बाद साल-दर-साल लगातार खाते में किसी तरह का लेन-देन नहीं होता है तो फिर क्या होगा? जवाब है कि बैंक अगले आठ साल तक इंतजार करेगा और फिर उस बैंक खाते में जमा रकम को बगैर दावेदारी वाले मद में डाल देगा. बचत खाता और चालू खाते में जहां 10 साल तक नहीं लेद देन की शर्त है, वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट के मामले में इस समय की गणना मियाद पूरी होने की तारीख से 10 साल तक की जाती है. अब ग्राहक लेन-देन करें या नहीं, ऐसे बचत खाते और मियादी जमा वाले खाते में बैंक को ब्याज जमा करना ही होगा.

सरकार कह रही है कि 31 दिसम्बर 2019 से 31 दिसम्बर 2020 के बीच बिना किसी दावेदारी वाली बैक जमा रकम में करीब छह हजार करोड़ रुपये की बढ़त हुई और यह रकम, साल-दर-साल बढ ही रही है. अब आपका अगला सवाल होगा कि यह जो रकम आ रही है, उसका क्या होता है? इसके लिए रिजर्व बैंक ने Depositor Education and Awareness Fund (Fund) Scheme बना रखी है, जिसमें 10 साल का समय पूरा होने के बाद बिना दावे वाले खाते की रकम को डाल दिया जाता है. इस रकम का इस्तेमाल जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा को बढ़ावा देने में होता है, जिसकी रणनीति रिजर्व बैंक तैया करता है.

अब तो समझ ही गए होंगे कि निष्क्रिय खाते ही आगे चलकर ऐसे खाते में तब्दील हो सकते हैं, जिनमें जमा रकम पर कोई दावा नहीं करता. यहां बात सिर्फ 25 हजार करोड़ रुपये की रकम की नहीं है, बल्कि उस आशंका की भी है, जिसमें ऐसे खातों का दुरुपयोग हो सकता है. कई वाकये सामने आ चुके हैं और इसी को ध्यान में रखकर पूरी व्यवस्था बनायी गयी है, जिससे ऐसे खातों पर विशेष नजर रखी जा सके. अब यहां आपकी जिम्मेदारी बनती है कि पहले तो खाते को निष्क्रिय ना होने दे और अगर बहुत ज्यादा परेशानी हो तो खाता बंद करना ही बेहतर होगा.

याद रखे कि आशंका यह भी होती है कि खाता आपका बिल्कुल ही खाली हो जाए, तो उसका इस्तेमाल संदिग्ध लेन-देन के लिए भी हो सकता है. एक बात और, अलग-अलग बैंक में खाता खुलवाने का कोई मतलब नहीं है. एक या दो खाता रखिए, उससे काम चल जाएगा. आपकी सक्रियता वित्तीय व्यवस्था में परेशानियों पर लगाम लगा सकती है.

Published - August 14, 2021, 10:26 IST