कोरोना काल में भी बैंको ने अपने लिए कमाई का साधन ढूंढ लिया है. जनधन अकाउंट सरकारी बैंको के लिए कमाई का जरिया बन रहे हैं. जीरो बैलेंस वाले खातों में लिमिट के बाहर ट्रांजैक्शन पर पेनल्टी लगाकर बैंकों की अच्छी खासी कमाई हो रही है. आईआईटी बॉम्बे की एक स्टडी के मुताबिक, देश की सबसे बडी सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India) ने जीरो बैलेंस वाले खातों पर ऐसे ही पेनाल्टी से 5 साल में करीब 300 करोड़ रुपए की कमाई की है. गौरतलब है कि ये खाते मोदी सरकार के जनधन अभियान के तहत खोले जाते हैं.
ऐसे खाताधारकों के लिए कई सेवाओं पर बैंक भारी चार्ज लगा रहे हैं. सिर्फ चार ट्रांजैक्शन ही फ्री होता है कि उसके बार हर लेन-देन पर 15 से 18 रुपए तक काट लिए जाते हैं, यहां तक कि डिजिटल ट्रांजैक्शन पर भी. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में हर व्यक्ति तक बैंकिंग सुविधा पहुंचाने के लिए जनधन अभियान की शुरुआत की थी. भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) इस अभियान के तहत ही जीरो बैलेंस वाले बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट एकाउंट (BSBDA) गरीबों के लिए खोलता है.
स्टडी में किया गया दावा
IIT Bombay Study में यह खुलासा हुआ है कि भारतीय स्टेट बैंक सहित ज्यादातर बैंक इन खातों से पेनाल्टी, सर्विस चार्ज से तगड़ी कमाई कर रहे हैं. न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार इस स्टडी में कहा गया है कि SBI अपने BSBDA खाताधारकों के हर चार ट्रांजैक्शन के बाद प्रति लेन-देन 17.70 रुपए का चार्ज लगा देता है. State Bank of India ने साल 2015-20 के दौरान अपने करीब 12 करोड़ BSBDA खाताधारकों से 300 करोड़ रुपए कमाए हैं. सबसे ज्यादा BSBDA खाताधारक SBI में ही हैं.
रिजर्व बैंक के नियम के विपरीत!
इसी तरह, पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank) ने अपने 3.9 करोड़ खाताधारकों से इस दौरान 9.9 करोड़ रुपए कमाए हैं. स्टडी के अनुसार, बैंक ने कहा है कि बैंक ऐसे खाताधारकों को वैल्यू एडेड सर्विसेज अपनी मर्जी से दे सकते हैं, लेकिन इसके लिए वे कोई चार्ज नहीं ले सकते. यानी अगर बैंक वैल्यू एडेड सेवाएं दे रहा है तो फ्री देना होगा. महीने में 4 बार से ज्यादा ट्रांजैक्शन को रिजर्व बैंक वैल्यू एडेड सर्विसेज में ही रखता है, क्योंकि ऐसे खातों पर सिर्फ चार ट्रांजैक्शन फ्री है.