त्योहारों के सीजन में ना चाहते हुए भी आपके खर्चे बढ़ ही जाते हैं. ये सीजन बाकी सालों से अलग नहीं होगा. हालांकि, कोविड महामारी के दौरान कई लोग ऐसे भी जो अपनी नौकरी से हाथ धो चुके हैं, वहीं कई लोग कंपनियों में हुई आय कटौती का भी सामना कर रहे हैं. इन सभी कारणों के चलते मौजूदा स्थिति ने कि सबसे बुनियादी कार्यों को भी ‘लड़ाई’ बना दिया है. लेकिन अगर आपको इनमें से किसी समस्या का सामना नहीं भी कर रहे हैं तो आपको त्योहारों के सीजन में क्रेडिट कार्ड का अत्यधिक उपयोग करने से बचना चाहिए.
क्रेडिट कार्ड भले ही आपको त्योहारों का जमकर आनंद उठाने में मददगार साबित हो, लेकिन भविष्य में ब्याज की बढ़ती राशि का भुगतान करते वक्त आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह बचत करने या निवेश करने के बजाय खर्च करने का विकल्प चुनना सही नहीं होगा.
कहा जाता है कि क्रेडिट एक छिपे हुए ब्याज व्यय के साथ आते हैं. ऐसे में अगर इसे उचित रूप से प्रबंधित नहीं किया जाता है, तो जल्दी से नियंत्रण से बाहर होने की संभावना लगी रहती है. इसलिए त्योहारों और छुट्टियों के मौसम में अपने क्रेडिट कार्ड के खर्चों पर कड़ी नजर रखें और अपने कर्ज के बोझ को कम करने का प्रयास करें. साथ ही देखें कि अपने क्रेडिट कार्ड के खर्च और बकाया राशि के पुनर्भुगतान को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है.
खरीदारी करने के लिए क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते समय और लोन का भुगतान करते समय आपको इन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए.
सामर्थ्य बनाम इच्छा (Affordability vs desire)
छुट्टियों के दौरान लोग अपनी वित्तीय स्थिति पर विचार किए बिना ही अधिक खर्च करते हैं. साथ ही कैश छोड़ क्रेडिट कार्ड से खरीदारी की होड़ में चले जाएंगे. और जो भी सामने दिखता है उसे बिना एक मिनट भी सोचे खरीद लेते हैं. ये बात आपके लिए जाननी बेहद जरूरी है कि अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड बिल का पूरा भुगतान करने के बजाय मिनिमम भुगतान भी करते हैं तो लेट भुगतान शुल्क लागू नहीं होता. ऐसे में लेट चार्ज से बचने के लिए आप हर महीने बकाया क्रेडिट कार्ड का मिनिमम पेमेंट यानी लगभग 5% भुगतान भी कर सकते हैं.
हालांकि, ऐसा करने से आप वित्त संकट में भी पड़ सकते हैं, क्योंकि आपको हर साल 30 से 45% दर से ब्याज का भुगतान करना होगा. दरअसल, एक कार्ड पर महीने दर महीने खर्च करने और इस तरह केवल मिनिमम भुगतान करने पर 5% के हिसाब से भी लंबी अवधि में बहुत बड़ा अमाउंट हो सकता है.
ऐसे में अपनी परिस्थितियों को देखते हुए ही खरीदारी करें. यानी आप वही चीजें खरीदें जिनकी आपको आवश्यकता हो बजाय इसके कि आप जो आप बस यूं ही खरीदना चाहते हैं.साथ ही खरीदारी से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपका पूरा भुगतान समय पर ही हो. जिससे आप ब्याज देने से बचें.
अपने बजट और कमाई के आधार पर करें खरीदारी
जब आपका क्रेडिट कार्ड खर्च आपकी कमाई और बचत के साथ बैलेंस होता है तो सब कुछ है.लेकिन त्योहारों के सीजन में इस तरह की ही फाइनेंशियल बजट बनना कई लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है. लेकिन, जो लोग अपने इस संतुलन को बनाकर रखते हैं उन्हें बाद में भी फाइनेंसियल क्राइसेस का सामना नहीं करना पड़ता है. ध्यान रखने वाली बात यह है कि क्रेडिट कार्ड से खरीदारी पर भी अपनी आय का केवल 5-10% ही खर्च करें. इससे पैसे की बचत करते हुए फेस्टिवल सेलिब्रेट करना आसान होगा.
लोन बैलेंस ट्रांसफर
कई बड़े बैंकों ने बैलेंस ट्रांसफर समेत नए होम लोन पर ब्याज दरें घटा दी हैं. दरअसल, कई बार आप अपने बैंक से संतुष्ट नहीं होते हैं. अगर आपका बैंक होम लोन पर ज्यादा ब्याज वसूल रहा है या कई बार अलग-अलग तरह के चार्जेज वसूल रहा है तो ऐसे में आपके पास एक बैंक से दूसरे बैंक में स्विच करने का विकल्प मौजूद होता है. इस स्थिति में आप अपना होम लोन ट्रांसफर कर सकते हैं. ऐसा लोग आमतौर पर कम ब्याज दर के लिए करते हैं. कम ब्याज दर आपके ईएमआई को भी कम करता है. हालांकि ग्राहकों को यहां इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप पर लागू ब्याज दर आपके क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करेगी. यानी आपका क्रेडिट स्कोर जितना अच्छा होगा, आपके लिए कर्ज लेना उतना ही आसान होगा.
म्यूचुअल फंड और टर्म डिपॉजिट में करें निवेश
इस सीजन में म्यूचुअल फंड के बीते परफोमेंस को देखते हुए इसे चुनना करना फायदेमंद होगा.हालांकि, निवेश से पहले फंड के प्रदर्शन का विश्लेषण करना आवश्यक है. म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए ऐसे व्यक्ति को चुनने की आवश्यकता होती है जिसने अपने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया हो.
साथ ही अपने उद्योग के भीतर उच्च रैंकिंग प्राप्त की हो.ये आपको म्यूचुअल फंड विश्लेषण संबंधी वेबसाइटों मिल सकते हैं. वहीं, जब बात टर्म डिपॉजिट की आती है तो ऐसे में उच्च ब्याज दरों वाले बैंक को चुना जाना चाहिए. आपने कौन सा फंड चुना है इस आधार पर म्युचुअल फंड में लॉक इन पीरियड हो सकता है. साथ ही आप इसे जब चाहे छोड़ सकते हैं.
इन फंड में निवेश के लिए एसआईपी या म्यूचुअल फंड में एकमुश्त निवेश दोनों ही विकल्प हैं.एक व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) म्यूचुअल फंड में समय के साथ एक निश्चित राशि का निवेश करती है. जबकि एकमुश्त निवेश एक ही बार में किया जाता है.एसआईपी निवेशकों के बीच लोकप्रिय हैं. बता दें कि इसमें निवेश कम से कम 500 रुपये प्रति माह से शुरू होता है और वे आपको निवेश के लिए एक अनुशासित दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करते हैं.