इस NBFC का लाइसेंस रद्द कर सकता है रिजर्व बैंक, जानें क्या है वजह

Sambandh Finserve: रिजर्व बैंक ने इस माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट का लाइसेंस रद्द करने से पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

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Pic Courtesy : PTI

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भारतीय रिजर्व बैंक नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) संबंध फिन्सर्व प्राइवेट लिमिटेड का लाइसेंस रद्द कर सकता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक बैंकिंग रेगुलेटर ने फ्रॉड के आरोपों से घिरी संबंध फिन्सर्व को कारण बताओ नोटिस दिया है. दरअसल कंपनी का नेटवर्थ RBI के नियमों के मुताबिक तय न्यूनतम नेटवर्थ से नीचे आ गया है जिसके बाद ये नोटिस भेजा गया है. संबंध फिन्सर्व (Sambandh Finserve) को ये जानकारी सौंपनी होगी कि उनके नेटवर्थ में आई तेज गिरावट के बाद उनका लाइसेंस क्यों रद्द ना किया जाए, मनीकंट्रोल ने अपनी एक रिपोर्ट में ये जानकारी दी है.

आपको बता दें कि इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO दीपक किंडो पर फ्रॉड करने का आरोप है और इसी मामले में चेन्नई के इकोनॉमिक ऑफेंस विंग ने उन्हें गिरफ्तार किया है. फिलहाल संबंध फिन्सर्व एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी – माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट के तौर पर RBI में पंजिकृत है.

2013 में स्थापित ये कंपनी (Sambandh Finserve) छोटे कर्ज देने का काम करती है. ओडिशा के राउरकेला में इसका हेडक्वार्टर है और ओडिशा समते छत्तिसगढ़, झारखंड, बिहार और गुजरात के 39 जिलों में कंपनी के कुल 100 ब्रांच हैं.

क्या है मामला?

दरअसल 7 अक्टूबर 2020 को NBFC के ही मैनेजमेंट के वरिष्ठ अधिकारियों ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को लिखे खत में आरोप लगाया था कि कंपनी (Sambandh Finserve) के मैनेजिंग डायरेक्ट्र और CEO दीपक किंडो बहीखातों में वित्त वर्ष 2015-2016 से छेड़छाड़ कर रहे हैं.

चिट्ठी के मुताबिक मैनेजमेंट को CEO के निर्देश पर बढ़ा हुआ एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) का आंकड़ा दिखाने के लिए झूठे और नकली लोन खाते बनाने पड़े. खत में ये भी कहा गया था कि संबंध फिन्सर्व है का असली AUM 140 करोड़ रुपये ही था जबकि 30 सितंबर 2020 तक के खातों में इसे 391 करोड़ रुपये दिखाया गया था. यानी 251 करोड़ रुपये सिर्फ ऐसे खातों से था जो हैं ही नहीं.

ग्राहकों के 5 लाख रुपये तक सुरक्षित

ग्राहकों को 5 लाख रुपये तक की पूंजी के लिए चिंता करने की जरूरत नही है. अगर भारतीय रिजर्व बैंक संबंध फिनसर्व प्राइवेटि लिमिटेड का लाइसेंस कैंसिल कर देता है तो ग्राहकों के 5 लाख रुपये तक सुरक्षित रहेंगे. डिपॉजिट इंश्‍योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के जरिए इन ग्राहकों को उनकी पूंजी वापस मिलेगी.

DICGC  आरबीआई की ही एक सब्सिडियरी है, जिसे 1978 में लाया गया था. डीआईसीजीसी ही डिपॉजिट और क्रेडिट फैसिलिटीज पर इंश्‍योरेंस देता है. किसी बैंक या आरबीआई के पास रजिस्‍टर्ड वित्‍तीय संस्‍थान को यह सुविधा मिलती है.

Published - April 22, 2021, 02:25 IST