ICICI, एक्सिस और इंडसइंड जैसे टॉप बैंकों ने बताया है कि उनके ज्यादातर लोन को रिटेल कैटेगरी में नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) के तौर पर क्लासीफाई किया गया. अप्रैल-मई में कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर के कारण, कई राज्यों ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया था, जिससे लोन पेमेंट कलेक्शन को नुकसान पहुंचा था, जिसकी वजह से रिटेल लोन पोर्टफोलियो में गिरावट आई थी.
भारत के दूसरे सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक ICICI ने पहली तिमाही में रिटेल और बिजनेस बैंकिंग पोर्टफोलियो से ग्रोस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) के अतिरिक्त 6,773 करोड़ रुपये जमा किए, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष (2020-21) की चौथी तिमाही में यह प्रो फॉर्म के आधार पर 4,355 करोड़ रुपये था.
बैंक ने कहा कि रिटेल और बिजनेस बैंकिंग के ग्रोस NPA में किसान क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो से 961 करोड़ रुपये और ज्वेल लोन पोर्टफोलियो से 1,130 करोड़ रुपये शामिल हैं. ये दोनों 30 जून,2021 तक कुल लोन पोर्टफोलियो का लगभग 3% हिस्सा हैं. कुल रिटेल लोन पोर्टफोलियो ICICI की कुल लोन बुक का 50% है.
पोस्ट अर्निंग कॉल में, ICICI बैंक के MD और CEO संदीप बख्शी ने कहा कि वायरस के प्रसार को रोकने के लिए अथॉरिटीज द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के चलते अप्रैल और मई में कलेक्शन और रिकवरी पर काफी असर पड़ा और इस साल की पहली तिमाही में ओवरड्यू और ग्रोस NPA में भी इजाफा हुआ.
एक्सिस बैंक ने भी इस साल की पहली तिमाही के दौरान नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) कैटेगरी में कुल 6,518 करोड़ रुपये की गिरावट दर्ज की, जबकि पिछले साल की चौथी तिमाही में 5,285 करोड़ रुपये की गिरावट दर्ज की गई थी.
ICICI सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक्सिस की गिरावट रिटेल लोन की वजह से थी जो कि 85% था. तीसरे सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर के बैंक ने कहा कि पहली तिमाही में कलेक्शन गिर गया क्योंकि उनके कई कर्मचारी और एजेंट कोविड -19 महामारी और लॉकडाउन प्रतिबंधों के कारण बाहर नहीं निकले.
इंडसइंड बैंक ने भी इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के दौरान रिटेल सेगमेंट से लोन कलेक्शन में 2,762 करोड़ रुपये की गिरावट दर्ज की. इसमें से 2,342 करोड़ रुपये कंज्यूमर लोन बुक से आए.
बैंकों ने कहा कि अप्रैल और मई में लॉकडाउन के कारण कलेक्शन में गिरावट आई, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि रिटेल पोर्टफोलियो में एसेट की क्वालिटी सामान्य होने के बाद बेहतर होगी.