नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (NARCL) को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंजूरी दे दी है. एक अधिकारी ने बताया कि RBI ने NARCL को बैड बैंक का लाइसेंस सोमवार को दिया. सिक्योरिटाइजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट (SARFAESI) एक्ट 2002 की धारा 3 के तहत एनटीटी को मंजूरी दी गई है. सेक्शन 3 में कहा गया है कि एक एनटीटी पंजीकरण का प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना सिक्योरिटाइजेशन या एसेट रिकंस्ट्रक्शन का बिजनेस शुरू नहीं कर सकती है.
पब्लिक सेक्टर के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और इंडियन बैंक ने NARCL में 12-12 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी ली है. एसबीआई, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक ने एनएआरसीएल में 13.27 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है, जबकि पीएनबी ने 12.06 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है. नवगठित NARCL को 2 ट्रिलियन रुपये के बैड लोन के समाधान के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये से 64,000 करोड़ रुपये के बीच की रिकवरी की उम्मीद है.
बैड बैंक में पब्लिक सेक्टर बैंक 51% हिस्सेदारी रखेंगे. शेष प्राइवेट बैंकों (private banks) और वित्तीय संस्थानों (financial institutions) के पास रहेगी. लगभग 16 पब्लिक (public) और प्राइवेट (private) सेक्टर के बैंकों ने बैड बैंक में 5,000-6,000 करोड़ रुपये डाले हैं. इसका उपयोग वह अपने बैड लोन्स को खरीदते समय उधारदाताओं को 15 प्रतिशत नकद भुगतान करने के लिए करेगा. शेष 85 प्रतिशत का भुगतान सरकार की गारंटीकृत सुरक्षा रसीदों के माध्यम से किया जाएगा.
बैड बैंक एक कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर है जो बैंकों की जोखिम भरी संपत्ति (risky assets) को एक अलग एनटीटी में रखकर अलग करती है. बैड बैंक की स्थापना (established) नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPAs) को बैंक से खरीदने के लिए की गई है. इसकी कीमत का निर्धारण भी बैड बैंक खुद करता है. बजट 2021-22 में बैड बैंक (Bad Bank) स्थापित करने की घोषणा की गई थी. बैंकिंग सिस्टम में मार्च 2021 तक कुल बैड लोन की राशि 8.35 लाख करोड़ रुपये थी.