Recurring Payment: रिकरिंग कार्ड पर आरबीआई की नए नियम आने के बाद 95 प्रतिशत से ज्यादा कार्ड जारी करने वाले बैंकों ने नए नियमों को लागू कर दिया है. 20 लाख से ज्यादा ई मेंडेट भी रजिस्टर किए गए हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया ने पेमेंट इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि जिन बैंकों ने क्रेडिट कार्ड के नए भुगतान नियमों के योग्य हैं उनमें एसबीआई, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, यस बैंक, अमेरिकन एक्सप्रेस, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईसीआईसीआई बैंक, एचएसबीसी, आरबीएल बैंक, इंडसइंड, कोटक महिंद्रा बैंक शामिल हैं. कुछ बैंकों ने डेबिट कार्ड और क्रेडिट दोनों के लिए अनिवार्य नियमों को पूरा किया है.
इन पर लागू नए नियम
ऑटोमेटिक रिकरिंग पेमेंट के लिए भी व्यवसायियों को नए ई मैंडेट का ही पालन करना होगा. इसमें अधिकांशतः OTT (over the top) स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म, प्राइवेट लाइफ और जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के अलावा बड़े स्तर की ग्लोबल कंपनियां जैसे गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, मैकअफी (McAfee) और कुछ एडटेक (edtech) कंपनियां शामिल हैं.
इस नियम की दिलचस्प बात ये है कि जो इंडियन कार्डहोल्डर्स विदेशी सर्विस प्रोवाइडर्स से जुड़े हैं और जिनका पेमेंट गेटवे भी विदेशों में है वो इन नियमों के अधीन नहीं हैं.
ऐसा इसलिए भी है क्योंकि उन बाजारों पर सेकेंड फैक्टर ऑथेंटिकेशन लागू करना आरबीआई के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. ये कस्टमर पर निर्भर करता है कि वह अपने कार्ड पर अंतरराष्ट्रीय लेन देन को डिसेबल करता है या नहीं.
व्यापारियों के इससे तेजी से जुड़ने के पीछे एसआई हब द्वारा विकसित बिल डेस्क और रेजरपे द्वारा विकसित मंडेट एचक्यू का होना है.
घरेलू बैंक करेंगे बदलाव
हालांकि केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टैंडर्ड चार्टड बैंक जैसे कुछ घरेलू बैंक्स इसके लिए जरूरी बदलाव करने में जुटे हुए हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक ट्रांजेक्शन के मामले में कार्ड बेस्ड रिकरिंग ट्रांजेक्शन 2.5 प्रतिशत हैं.
जबकि देश में होने वाले टोटल कार्ड पेमेंट 1.5 प्रतिशत हैं. औसतन 75 प्रतिशत डोमेस्टिक रिकरिंग ट्रांजेक्शन 5 हजार रुपये तक के हैं. जबकि क्रॉस बॉर्डर रेकरिंग ट्रांजेक्शन 85 प्रतिशत है.