Overseas Study Loan: देश में बड़ी संख्या में होनहार स्टूडेंट्स विदेशी संस्थानों से पढ़ाई का सपना देखते तो हैं, लेकिन एजुकेशन लोन (Education Loan) नहीं मिल पाने के कारण उनका सपना साकार नहीं हो पाता. विदेश में पढ़ाई के लिए घरेलू उधारदाताओं से कर्ज लेना आसान नहीं होता. विदेशी शिक्षा ऋण देने वाले भारतीय बैंक और गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां (NBFCs) कुछ पूर्व-शर्तें लागू करती हैं. अधिकांश जगह कॉलेटरल की मांग की जाती है. विदेश में पढ़ाई का खर्च काफी अधिक होने के कारण ऋणदाता बिना कॉलेटरल के एजुकेशन लोन देने को तैयार नहीं होते. आमतौर पर राशि 7.5 लाख रुपये से अधिक हो जाने पर कॉलेटरल की मांग की जाती है.
कुछ घरेलू ऋणदाता वित्तीय परिसंपत्तियों को कॉलेटरल के रूप में स्वीकार करते हैं. वहीं, कुछ ऋणदाता एफडी, म्यूचुअल फंड और स्टॉक भी कॉलेटरल के रूप में स्वीकार करते हैं. वहीं, कई ऋणदाता सह-उधारकर्ता पर भी जोर देते हैं, आमतौर पर माता-पिता. सह-उधारकर्ता गारंटर के रूप में कार्य करता है, जिसे स्टूडेंट के डिफॉल्ट हो जाने पर बकाया राशि का निपटान करना होता है.
वहीं, विदेशी ऋणदाता से Overseas Study Loan लेना अधिक आसान है. इसकी प्रॉसेस भी भारतीय ऋणदाता की तुलना में शीघ्र और आसान होगी. साथ ही जब कोई छात्र किसी विदेशी ऋणदाता से लोन लेता है, तो उसकी क्रेडिट हिस्ट्री उस देश में बनती है, जिसमें वह जाता है. इससे ग्राहक के लिए नए देश की वित्तीय प्रणाली में एकीकृत होना आसान हो जाता है.
विदेशी ऋणदाताओं की ब्याज दरें काफी अलग-अलग हो सकती हैं. भारतीय स्टूडेंट्स के लिए आमतौर पर ब्याज दर 9 से 14 फीसद के बीच होती हैं. कुछ शिक्षण संस्थानों का कर्जदाताओं के साथ टाई-अप भी होता है. अगर स्टूडेंट्स अपने संस्थान के माध्यम से लोन लेते हैं, तो 4 से 5 फीसद तक की ब्याज दर पर भी लोन पा सकते हैं. इस तरह यहां ब्याज दर भारतीय कर्जदाताओं की तुलना में 3 से 5 फीसद कम है.
अगर स्टूडेंट ऑटो-पे का चुनाव है, नियमित रूप से भुगतान करता है या निर्धारित समय पर अपनी डिग्री प्राप्त करते हैं, तो ऋणदाता ब्याज दर पर छूट भी प्रदान करते हैं.
कड़े पात्रता मानदंड
चूंकि ये ऋणदाता कॉलेटरल या सह-उधारकर्ता के बिना बड़े पैमाने पर ऋण की पेशकश करते हैं, इसलिए वे अपने मानकों को थोड़ा ऊपर रखते हैं. स्टूडेंट का प्रवेश अच्छे कॉलेज और अच्छे पाठ्यक्रम के लिए होना चाहिए. साथ ही पढ़ाई के बाद अच्छी कमाई की संभावना भी हो. उधारदाताओं की पेशकश की जाने वाली राशि विश्वविद्यालय और पाठ्यक्रम पर भी निर्भर करती है. वे आमतौर पर विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित या एमबीए पाठ्यक्रम के लिए अधिक राशि का लोन देने को तैयार होते हैं.
जोखिमों से अवगत रहें
चूंकि ऋण की राशि अधिक है, इसलिए सब कुछ उस देश में अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी पाने की छात्र की क्षमता पर निर्भर करता है. अगर उन्हें भारत लौटना है और यहां नौकरी करनी है, तो उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है. भारत में नौकरियों से अपेक्षाकृत काफी कम सैलरी मिलती है. साथ ही आपको रुपये में कमाई करते हुए डॉलर का कर्ज चुकाना होगा. डॉलर के मुकाबले रुपया सालाना औसतन 3-4 फीसद की दर से अवमूल्यन करता है. बता दें कि एक विदेशी ऋणदाता का ऋण आयकर अधिनियम की धारा 80ई के तहत कर कटौती के लिए योग्य नहीं है.