मास मार्केट लोन में बढ़ता जा रहा NBFC का दबदबा: CRIF रिपोर्ट

क्रेडिट ब्यूरो CRIF हाई मार्क की रिपोर्ट के मुताबिक, प्राइवेट बैंकों ने सबसे बड़ी पैठ दोपहिया वाहनों में बनाई है. इसमें इनकी हिस्सेदारी 29% की है

mass market loan share of nbfc is the highest, reports crif

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास किफायती आवास (affordable housing) और बिजनेस लोन छोड़कर मास मार्केट के उत्पादों में छोटा हिस्सा है

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास किफायती आवास (affordable housing) और बिजनेस लोन छोड़कर मास मार्केट के उत्पादों में छोटा हिस्सा है

मास मार्केट लोन (mass market loans) में नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC’s) का दबदबा बढ़ता जा रहा है. मास मार्केट में बिजनेस लोन को छोड़कर बाकी सभी प्रॉडक्ट सेगमेंट में फाइनेंस कंपनियों की हिस्सेदारी सबसे अधिक है. इनमें स्मॉल-टिकट पर्सनल लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के लिए लोन, टू-व्हीलर्स, अफोर्डेबल हाउस और कमर्शियल व्हीकल शामिल हैं.

CRIF हाई मार्क की रिपोर्ट

क्रेडिट ब्यूरो CRIF हाई मार्क की रिपोर्ट के मुताबिक, प्राइवेट बैंकों ने सबसे बड़ी पैठ दोपहिया वाहनों में बनाई है. इसमें इनकी हिस्सेदारी 29% की है. इसके विपरीत, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास किफायती आवास (affordable housing) और बिजनेस लोन छोड़कर मास मार्केट के उत्पादों में छोटा हिस्सा है. अफोर्डेबल हाउसिंग में उनका 37% और बिजनेस लोन में 59% शेयर है.

40% आबादी आज भी अनबैंक्ड

CRIF के अनुसार, भारत की आबादी में मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी 28% है. इसके अलावा भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है. वर्किंग एज ग्रुप (15-59 वर्ष) में 62% से अधिक आबादी शामिल है. हर साल इस वर्ग में लगभग 1.2 करोड़ लोग जुड़ते हैं.

हालांकि, भारत की लगभग 40% आबादी आज भी अनबैंक्ड है. अनबैंक्ड का मतलब है किसी बैंक या वित्तीय संगठन की सेवाओं तक पहुंच नहीं होना. ऐसे में कंज्यूमर बैंकिंग के लिए यहां बड़े अवसर मौजूद हैं. लेंडर तेजी से आबादी के मध्यम और निम्न-आय वर्ग और युवा उधारकर्ताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इन्हें छोटे लेकिन अक्सर रेगुलर क्रेडिट की जरूरत होती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सेगमेंट मास मार्केट की ओवरऑल लेंडिंग की तुलना में छोटा है, लेकिन समाज के बड़े और बढ़ते मध्यम वर्ग/निम्न-आय वर्ग को सर्व करता है. हालांकि लोन की संख्या के मामले में सेगमेंट तेजी से विस्तार कर रहा है. लेंडर, विशेष रूप से नॉन ट्रेडिशनल, इस अवसर का लाभ उठाकर दूर-दराज के इलाकों तक उधारकर्ताओं के बीच अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं. इससे उनका उधारकर्ता आधार मजबूत हो रहा है.

कमर्शियल व्हीकल में सबसे अधिक डिफॉल्टर

मास मार्केट लोन में सबसे अधिक दोष (delinquencies) कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में हैं, जिसमें वैल्यू के हिसाब से 14.7 प्रतिशत उधारकर्ता समय पर भुगतान करने में विफल रहे हैं. इसके बाद स्मॉल टिकट वाले पर्सनल लोन (12.7%), टू-व्हीलर लोन (11.8%), बिजनेस लोन (7.6%), कंज्यूमर ड्यूरेबल (4%) और अफोर्डेबल हाउसिंग (3.7%) के उधारकर्ता हैं.

क्या कहा गया है स्टडी में?

स्टडी में पाया गया है कि 25 से कम आयु वर्ग और 26-35 आयु वर्ग के लोगों के पास स्मॉल-टिकट लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन और टू-व्हीलर्स का बड़ा अनुपात है. हालांकि, 36-50 वर्ष की कैटेगरी में सबसे ज्यादा अफोर्डेबल हाउसिंग, बिजनेस लोन और कमर्शियल व्हीकल लोन का लाभ उठाया जाता है.

दिलचस्प बात यह है कि टू-व्हीलर के 69.4% लोन वो उधारकर्ता लेते हैं, जिन्होंने कभी किसी प्रकार का लोन नहीं लिया है. इसके विपरीत स्मॉल-टिकट वाले लोन लेने वालों में से केवल 28% पहली बार कर्ज लेने वाले हैं.

Published - October 8, 2021, 05:04 IST