TYPES OF CHEQUE: चेक से लेनदेन करते हैं तो आपको अलग-अलग प्रकार के चेक के बारे में जानकारी रखनी चाहिए. चेक कई प्रकार के होते हैं औप उनका इस्तेमाल अलग-अलग मकसदों के लिए किया जा सकता है. डिजिटल बैंकिंग के चलते चेक से होने वाले ट्रांजैक्शंस कम हो गए हैं फिर भी कई जगहों पर चेक से लेनदेन करना पड़ता है. बैंक से लोन लेते वक्त आपसे कैंसिल चेक मांगे जाते हैं. ये भी जान लें कि अकाउंट पेई और बेयरर चेक अलग-अलग तरीके वाले चेक नहीं होते हैं. दरअसल साधारण चेक को ही अकाउंट पेई (account payee) या बेयरर चेक (bearer cheque) में तब्दील किया जा सकता है.
अगर आप किसी के बैंक अकाउंट में सीधे पेमेंट करना चाहते हैं तो चेक के लेफ्ट (बायीं) ओर टॉप कॉर्नर पर डबल क्रॉस लाइन के बीच ‘A/C Payee’ लिख दें. ऐसा करने पर चेक का पैसा संबंधित व्यक्ति यानी जिसके नाम पर चेक काटा गया है, के बैंक अकाउंट में ही क्रेडिट होगा. अकाउंट पेई चेक को सीधे काउंटर से इनकैश (भुनाया) नहीं कर सकता. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि चेक खोने की स्थिति में कोई जालसाज खुद को टार्गेट पर्सन बताकर उसके बदले कैश नहीं ले सकता है. आप चाहें तो जिसके नाम पर चेक काट रहे हैं, उसके नाम के साथ-साथ बैंक अकाउंट नंबर भी डाल सकते हैं. ऐसे में पैसा उल्लिखित बैंक अकाउंट के अलावा किसी अन्य अकांउट में क्रेडिट नहीं होगा.
बेयरर चेक को कोई भी डायरेक्ट काउंटर से इनकैश करा सकता है. इसके लिए जिसके नाम पर चेक काटा गया है, उसका बैंक अकाउंट होना जरूरी नहीं है क्योंकि चेक का पैसा अकाउंट में क्रेडिट नहीं होता है. बेयरर चेक जारी करने वाला खुद भी बेयरर बनकर पैसा निकाल सकता है.
अगर यह किसी अन्य व्यक्ति के हाथ लग गया तो वह भी उसमें दर्ज रकम को निकाल सकता है. आपको चेक को अकाउंट पेई बनाते वक्त चेक पर भुगतान किए जाने वाले व्यक्ति का नाम लिखने वाली जगह पर आगे राइट (सीधी) साइड में लिखे बेयरर को काट दें. बेयरर चेक काटते वक्त चेक के लेफ्ट (बायीं) ओर टॉप कॉर्नर पर डबल क्रॉस लाइन न करें.
क्रॉस्ड चेक बेयरर चेक की तुलना में ज्यादा सुरक्षित होते हैं और इस चेक के कोने पर दो समानान्तर लाइनें खींच कर क्रॉस्ड मेन्शन किया जाता है. भारत के एनआई एक्ट की धारा 126 में यह साफ किया हुआ है कि क्रॉस्ड चेक का किसी भी परिस्थिति में नगद भुगतान नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसे प्राप्त करने वाला किसी और के नाम से आगे बढ़ा सकता है. यह केवल खाते में ही हस्तान्तिरत हो सकता है. यह चेक किसी विशेष व्यक्ति या संस्था के नाम से लिखा जाता है. इस चेक से नकद निकासी नहीं होती और सम्बंधित व्यक्ति रोकड़ा (रुपया) केवल नामित व्यक्ति या संस्था के खाते में जमा हो सकती है.
खुला चेक वह चेक होता है जिसे बैंक में प्रस्तुत कर काउंटर पर ही नकद प्राप्त किया जा सकता है. क्लीयरन्स के लिए आपको इंतजार करने की जरूरत नहीं है. ओपन चेक को लेने वाला व्यक्ति काउंटर में जाकर तथा चेक दिखाकर ही रोकड़ा प्राप्त कर सकता है. व्यक्ति चाहे तो अपने अकाउंट में उस धन को ट्रांसफर भी कर सकता है या फिर चेक के पीछे हस्ताक्षर कर के किसी अन्य व्यक्ति को प्राधिकृत (authorizeed) भी कर सकता है.
Order Cheque चेक में ‘bearer’ शब्द को हटाकर उसके स्थान पर ‘order’ लिख दिया जाता है. इसमें खुले चेक की तरह चेक से अपने अकाउंट में राशि को ट्रान्सफर कर सकता है या चेक के पीछे हस्ताक्षर कर के किसी अन्य व्यक्ति को प्राधिकृत (authorize) भी किया जा सकता है.
सेल्फ चेक वह होता है जिसे खाताधारी बैंक में प्रत्यक्ष भुगतान के लिए स्वयं प्रस्तुत करता है. इसमें भुगतान पाने वाले के नाम की जगह पर “Self” लिखा जाता है.
आगे की तिथि में भुगतान वाला चेक एक ऐसा क्रॉस किया हुआ बेयरर चेक होता जिसमें आगे की तिथि अंकित की जाती है. इसका अर्थ यह हुआ है कि इस चेक का भुगतान अंकित तिथि या उसके बाद हो सकता है.
इस चेक में बैंक में प्रस्तुत करने के पहले की तिथि होती है. यह चेक अंतिम तिथि से तीन महिना के पूरा होने के तक भुनाया जा सकता है.
हर चेक को उसमें अंकित तिथि के तीन महीने के अन्दर-अन्दर भुनाने का नियम है. यदि यह तिथि पार हो जाती है काल बाधित चेक कहलाता है जो बैंक के द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है.