एक ब्रिटिश दार्शनिक ने पिछली शताब्दी के स्मारकीय निबंधों में आलस्य की प्रशंसा की थी, लेकिन जब पैसे की बात आती है तो आलस से काम नहीं चलेगा. जन धन खातों (Jan Dhan Account) में जमा पैसा उन फंड्स में से एक हो सकता है जो बेकार पड़ा है. आंकड़ों के मुताबिक, देश में कुल 42.05 करोड़ जनधन अकाउंट्स हैं, जिनमें 1.41 लाख करोड़ रुपए जमा है. यह पैसा वित्त वर्ष 2021-22 के केंद्रीय कृषि बजट से 1.14 गुना ज्यादा है.
प्रधानमंत्री जनधन योजना (PM Jan Dhan Scheme) की शुरुआत 28 अगस्त 2014 को इस मकसद के साथ की गई थी कि जो लोग बैंकिंग सिस्टम का हिस्सा नहीं है, उन्हें शामिल किया जाए. इसके दो और कारण यह भी थे कि डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम का फायदा सीधे लोगों तक पहुंचे और महिलाओं को सशक्त बनाए. क्योंकि, योजना के कुल 42.05 करोड़ खातों में से 55.41 फीसदी या 23.30 करोड़ अकाउंट महिलाओं के हैं.
लोगों ने भी इस योजना में उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया. खातों में जमा पैसा लगातार बढ़ रहा है. अगस्त 2015 तक हर अकाउंट में औसत 1279 रुपए जमा थे. अगस्त 2016 में यह 1747 रुपए हुआ. अगस्त 2017 में यह राशि 2187 रुपए पहुंच गई. वहीं, अगस्त 2018 में 2521 रुपए पहुंची. अगस्त 2019 में हर अकाउंट में औसतन 2783 रुपए जमा हुए. वहीं, साल 2020 के अगस्त महीने तक यह आंकड़ा 3239 रुपए पहुंच गया.
अब सवाल यह उठता है कि इन अकाउंट्स (Jan Dhan Account) में जमा पैसा खाताधारकों के लिए कमाई कर रहा है या नहीं. ऐसा कोई डाटा फिलहाल तो दिखाई नहीं देता. शायद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से सरकार सीख ले सकती है. अपने फंड का ज्यादा फायदा लेने के लिए ईपीएफओ अपने डिपॉजिट का 15% एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में निवेश करता है. अलग-अलग तिमाहियों की शुरुआती आशंकाओं के बावजूद EPFO ने पैसे की सुरक्षा के परिणामस्वरूप समझौता नहीं किया. सरकार भी इसी तर्ज पर जनधन के पैसे से बेहतर रिटर्न कमाने पर विचार कर सकती है. बेहतर रिटर्न के साथ अकाउंट होल्डर्स को भी बेहतर ब्याज मिल सकता है.