Inactive Account: हम सभी के कई बैंक अकाउंट हैं, जिनमें से ज्यादातर हमारे लिए जरूरी हैं. हालांकि, कुछ अकाउंट का हम इस्तेमाल नहीं करते ऐसे में फ्रॉड से बचने के लिए Inactive Account या डोरमेंट बैंक अकाउंट को बंद करना समझदारी है. अकाउंट बंद करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए. बैंक अक्सर इसके लिए एक अमाउंट लेते हैं और बैंक अकाउंट बंद करने की कुछ फॉर्मेलिटी होती हैं. Money9 आपको बताएगा अकाउंट बंद करते समय किन बातों का ख्याल रखें.
यदि आपके कई बैंक अकाउंट हैं, तो पहले ये क्लियर करें कि आप किन अकाउंट को बंद करना चाहते हैं. आम तौर पर, जब कोई व्यक्ति अपनी नौकरी बदलता है, तो सैलरी अकाउंट भी बदल जाता है.
इसलिए पहले उन अकाउंट को बंद कर देना चाहिए. लेकिन अगर आपके कई अकाउंट हैं तो पहले क्लियर करें कि आप किन अकाउंट को बंद करना चाहते हैं.
ऑर्गनाइजेशन छोड़ने के बाद, आमतौर पर एक नया बैंक अकाउंट खोलने की जरूरत होती है. सभी बैंकों का अपना मंथली एवरेज बैलेंस होता है जिसे मेंटेन रखने की जरूरत होती है.
नतीजतन, इतने सारे बैंक अकाउंट होने और नॉन-मेंटेनेंस चार्ज से बचने के लिए, ज्यादातर लोग उन्हें बंद करने का विकल्प चुनते हैं, लेकिन ऐसे में उन्हें एडिशनल क्लोजर चार्ज का भी सामना करना पड़ता है. इसलिए पहले तय करें कि आप किन अकाउंट को बंद करना चाहते हैं और फिर आगे बढ़ें.
आमतौर पर सभी बैंक अकाउंट होल्डर से एक अमाउंट वसूल करते हैं. अकाउंट खोलने के 14 दिनों के भीतर सेविंग अकाउंट बंद करने पर बैंक ग्राहकों से चार्ज नहीं लेते हैं.
हालांकि, 14 दिनों के बाद, लेकिन एक साल से पहले अकाउंट बंद करने पर कुछ क्लोजर चार्ज लगता है. खाता खोलने के 14 दिनों के बाद सेविंग या करंट अकाउंट बंद होने पर बैंक आमतौर पर 500 रुपये से 1,000 रुपये के बीच अकाउंट बंद करने का चार्ज लेते हैं.
भारत का सबसे बड़ा पब्लिक सेक्टर बैंक SBI उन ग्राहकों से 500 रुपये और GST लेता है जो अपना सेविंग अकाउंट खोलने के 14 दिनों के बाद लेकिन एक साल से पहले बंद कर देते हैं.
यदि अकाउंट एक साल पूरा होने के बाद बंद कर दिया जाता है, तो कोई चार्ज नहीं है. अकाउंट खोलने के दौरान उनके द्वारा किए गए खर्च की वसूली के लिए बैंकों द्वारा अकाउंट बंद करने का चार्ज लगाया जाता है.
पहले बैंक किसी मृत व्यक्ति का अकाउंट बंद होने पर GST के साथ करीब 500 रुपये चार्ज करते थे लेकिन अब उन्होंने इसे खत्म कर दिया है.
बैंक अकाउंट को स्थायी रूप से बंद करने के लिए, कस्टमर को खुद जाकर ब्रांच का दौरा करना आवश्यक है. ब्रांच में, अकाउंट डी-लिंकिंग फॉर्म, चेक बुक, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या उसके पास मौजूद बैंक के किसी भी अन्य सामान के साथ अकाउंट क्लोजर फॉर्म सबमिट करना होगा.
ज्वाइंट अकाउंट के मामले में, फॉर्म या लेटर पर दोनों अकाउंट होल्डर का साइन होना चाहिए. साथ ही, फंड ट्रांसफर करने के लिए ऑल्टरनेटिव अकाउंट डिटेल देना न भूलें.
यदि आपके अकाउंट में बैलेंस अमाउंट 20,000 रुपये से कम है तो इसे बंद करने के प्रोसेस के दौरान कैश में भुगतान किया जा सकता है.
आपको सभी ऑटो डेबिट और रिलेशनशिप को डी-लिंक करने की आवश्यकता है, जिसमें इसके साथ जुड़ा कोई सिक्योरिटी ट्रेडिंग अकाउंट बंद करना भी शामिल है. म्यूचुअल फंड FD, RD, क्रेडिट कार्ड सभी को अकाउंट बंद करने से पहले डी-लिंक किया जाना चाहिए.
यदि आपका पुराना बैंक अकाउंट मंथली लोन EMI, या रेकरिंग डिपॉजिट अमाउंट चुकाने से जुड़ा हुआ है, तो आपको अपने लेंडर को एक नया ऑल्टरनेटिव बैंक अकाउंट नंबर प्रोवाइड करना होगा. और उसके बाद आपको नए अकाउंट के साथ उन ऑटो डेबिट को लिंक करना होगा.
RBI के आंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च 2019 तक विभिन्न बैंक अकाउंट में 18,381 करोड़ रुपये बेकार पड़े हैं. करीब 5 करोड़ रुपये डोरमेंट सेविंग अकाउंट में बेकार पड़े हैं,
जो एजुकेशन फंड में जाते हैं. इसके अलावा 4,820 करोड़ रुपये मैच्योर फिक्स्ड डिपॉजिट में पड़े हैं, जो RBI के आंकड़ों के अनुसार आज तक क्लेम नहीं किए गए हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मानदंडों के अनुसार, यदि कोई अकाउंट होल्डर लगातार 12 महीनों तक बैंक अकाउंट में एक भी ट्रांजेक्शन नहीं करता है, तो बैंक इसे इनऑपरेटिव या इनएक्टिव अकाउंट के रूप में क्लासीफाई कर सकते हैं.
हालांकि, यदि वही अकाउंट 24 महीने या दो साल से अधिक समय तक किसी भी लेनदेन को रिकॉर्ड नहीं करता है तो यह एक डोरमेंट अकाउंट बन जाता है.