लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स से छूट देने का है जिनके पास 10% तक होल्डिंग है. दूसरा स्ट्रक्टर, लिस्ट होने से पहले शेयरों को रखने वाले सभी लोगों पर टैक्स लगाने का है, जब वे अपने इन्वेस्टमेंट से एग्जिट करेंगे
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सालाना 20 लाख रुपये (सर्विस की सप्लाई) और 40 लाख रुपये (गुड्स की सप्लाई) से ज्यादा टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए GST कंपलसरी है.
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इंटर-स्टेट गुड्स की सप्लाई करने वालों के लिए भी GST के तहत रजिस्टर्ड होना उतना ही जरूरी है.
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GST एप्लीकेशन फॉर्म भरने के लिए वेरीफाइड GST पोर्टल (https://www.gst.gov.in/) पर जाएं. निर्देशों के अनुसार फॉर्म भरें और रजिस्ट्रेशन पूरा करने के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट्स अपलोड करें.
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GST रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट्स की लिस्ट में एप्लीकेंट का पैन और आधार, बिजनेस रजिस्ट्रेशन का प्रूफ, प्रमोटरों की पहचान और एड्रेस प्रूफ शामिल है.
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इसके अलावा, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पूरा करने के लिए बिजनेस का एड्रेस प्रूफ, बैंक अकाउंट प्रूफ, डिजिटल सिग्नेचर और ऑथराइजेशन लेटर भी आवश्यक है.
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डीजल का इस्तेमाल ट्रांसपोर्टेशन में होता है, ऐसे में रॉ मैटेरियल की सप्लाई पर इसका फर्क पड़ेगा.
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पेमेंट में डिफॉल्ट के मामले में टैक्स अमाउंट का 10% जुर्माना लगाया जा सकता है. यदि ये पाया जाता है कि डिफॉल्ट जानबूझकर किया गया है तो जुर्माना टैक्स अमाउंट का 100% हो सकता है.
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आपकी कंपनी यदि वांछित मानदंडों को पूरा नहीं भी करती, तो भी अक्सर GST रजिस्ट्रेशन की सलाह दी जाती है. GST रजिस्टर्ड कंपनी को मार्केट में कानूनी और विश्वसनीय पहचान मिलती है.