किसी व्यक्ति की संपूर्ण और सफल जिंदगी के लिए क्वालिटी एजुकेशन बहुत जरुरी है. कुछ लोगों के लिए यह किसी शीर्ष इंस्टीच्यूट से ग्रेजुएशन करना हो सकता है. ऐसे दौर में जब पढ़ाई का खर्च लगातार बढ़ रहा है, देश-विदेश के शीर्ष इंस्टीच्यूट में पढ़ने का खर्च काफी अधिक है. एजुकेशन लोन के रूप में आपको ऐसी परिस्थितियों में काफी मदद मिलती है. यह लोन आपकी जरूरत और उपलब्ध रकम के बीच की खाई को भरता है.
9 पॉइंट में समझें सारी चीजें
एजुकेशन लोन छात्र के नाम पर दिया जाता है. लेकिन आवेदक में माता-पिता या फिर अभिभावक का भी नाम होता है.
आवेदन करने वाला भारतीय नागरिक होना जरूरी है. भारत में पढ़ाई या उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले छात्र लोन ले सकते हैं.
कोर्स के प्रकार, शिक्षण संस्थान और उधारकर्ता की एलिजिबिलिटी के आधार पर लोन राशि की सीमा तय की जाती है. घरेलू कोर्स के लिए 50 लाख रुपये तक और विदेश में पढ़ाई के लिए एक करोड़ रुपये तक का लोन मिलता है.
देश में पढ़ाई के लिए 4 लाख रुपये तक के एजुकेशन लोन पर किसी प्रकार की सिक्योरिटी जमा कराने की जरूरत नहीं होती है. यानी बिना गारंटी 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन मिल जाता है.
अगर आप 4 से 6.5 लाख रुपये के बीच एजुकेशन लोन लेते हैं तो इसके लिए किसी तीसरे व्यक्ति को गारंटर बनाना होगा. अगर आप 6.5 लाख रुपये से ज्यादा का एजुकेशन लोन ले रहे हैं तो आपको कोई संपत्ति बंधक रखनी पड़ सकती है.
लोन लेकर फुल टाइम, पार्ट टाइम या वोकेशनल कोर्स कर सकते हैं. हर तरह के प्रोफेशनल कोर्स के लिए आसानी से एजुकेशन लोन मिल जाता है.
पर्सनल लोन की तुलना में एजुकेशन लोन बेहद सस्ता होता है. हालांकि कोर्स और शिक्षा संस्थानों के आधार पर बैंक ब्याज दर निर्धारित करता है. आमतौर पर यह 7-12 फीसद के बीच होता है.
लोन एप्रूवल के दौरान बैंक आवेदक से संस्थान का एडमिशन लेटर, फीस स्ट्रक्चर, अभिभावक की सैलरी स्लिप और आयकर रिटर्न (आईटीआर) की कॉपी मांग सकता है.
आमतौर पर कोर्स खत्म होने के 6 महीने बाद रीपेमेंट शुरू हो जाता है. लेकिन जॉब नहीं मिलने की स्थिति में बैंक रीपेमेंट के लिए एक साल तक वक्त दे देता है. पांच से सात साल में एजुकेशन लोन चुकाना होता है, कई बार बैंक इसे आगे बढ़ा सकते हैं.