Home Loan: कोरोना महामारी की अर्थव्यवस्था पर पड़ी मार ने देश के कई सेक्टरों की अनुमानित ग्रोथ पर असर डाला है. मगर हाउसिंग एक ऐसा सेक्टर है जिसपर इसका असर मिलाजुला देखने को मिला है. बीते करीब 15 महीनों में उपभोक्ताओं को बेजोड़ ब्याज दर पर होम लोन (Home Loan) मिले हैं. अब तक की सबसे सस्ती दर पर मिल रहे कर्ज के साथ घर या कहीं से भी काम करने की मिली छूट ने टियर-2 और टियर-3 शहरों में किफायती घरों की मांग तेजी से बढ़ाई है. पहली बार घर खरीदने वालों को कम ब्याज दरों ने अपना खुद का घर खरीदने का बेहतरीन मौका दिया है. जिन लोगों ने कोरोना काल से पहले होम लोन लिए थे, मौजूदा दरों को देखते हुए उन्होंने बकाया राशि को ट्रांसफर और फिर से फाइनेंस कराया है. हालांकि, कई ऐसे भी लोग थे, जो पहले ही एक बार बैलेंस ट्रांसफर करा चुके थे. कर्ज के कार्यकाल के बीच में होने की वजह से उन्होंने इस सुविधा का लाभ उठा लिया था. ऐसे में उनके लिए यह बड़ा सवाल रहा है कि क्या अब फिर से लोन को रीफाइनेंस कराना चाहिए?
आमतौर पर होम लोन को पुनर्वित्त कराने का मतलब होता है मौजूदा ऋण को कम ब्याज दर और बेहतर पॉलिसी के साथ मिल रहे नए कर्ज से बदलना. इसमें किश्त चुकाने की अवधि भी बदली जा सकती है, जिससे कर्ज जल्द चुकाने में मदद मिलती है.
अगर आप चाहें तो कर्ज को मौजूदा कर्जदाता से ही फिर से फाइनेंस करा सकते हैं. नहीं तो नए लेंडर से जुड़ना तो विकल्प है ही. होम लोन को कितनी बार पुनर्वित्त कराया जा सकता है, इसका कोई तय नियम या कानूनी सीमा नहीं है.
कितनी अवधि पर इसे किया जा सकता है, इसकी लिमिट हो सकती है. आम तौर पर कर्जदाता एक रीफाइनेंस से दूसरे के बीच सात महीने का वेटिंग पीरियड रखते हैं.
इस दौरान कम से कम छह किश्तें तो आप भरेंगे ही. फिर से फाइनेंस कराना आसान होता है, मगर इसका यह मतलब नहीं हुआ कि हर बार यह अच्छा फैसला साबित हो.
कई बार रीफाइनैंस कराने से यह आपकी जेब पर असर डाल सकता है. साथ ही सोच-समझकर इसकी योजना नहीं बनाई, तो महंगा सौदा भी साबित हो सकता है. ऐसे में जरूरी है कि फैसला लेने से पहले उस पर अच्छे से विचार करें.
कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलता है. रीफाइनैंस भी नहीं. इसके लिए प्रोसेसिंग फीस भरनी होती है, जो मूल राशि का 0.5-1 प्रतिशत हो सकती है.
नई ब्याज दर पर जितनी बचत होगी, उसके एवज में आप कितना खर्च करने जा रहे हैं, उसका अनुमान हमेशा लगा कर चलना चाहिए.
अधिकतर मामलों में रीफाइनैंस के दौरान लगने वाली फीस और अन्य शुल्क आप जितनी बचत करने वाले हैं, उसका छोटा सा हिस्सा होते हैं.
शुल्कों से बचने के लिए महंगे ब्याज दर वाले कर्ज के साथ बने रहना आपको भारी पड़ेगा. फीस जैसे खर्चों से घबराएं नहीं. उन्हें संभालने के कई तरीके होते हैं.
जब लंबी अवधि में बचत की बात आती है, तो पुनर्वित्त करने के कई कारण हो सकते हैं. चाहे वह पहली बार हो या तीसरी. रीफाइनैंस कराने के कुछ कारण यूं हो सकते हैं :
अगर आपके कर्ज पर लगने वाली ब्याज दर इंडस्ट्री की मौजूदा दर से अधिक है, तो पुनर्वित्त आपके पैसे बचा सकता है.
उदाहरण के लिए, 30 साल तक चलने वाला 7.8 प्रतिशत ब्याज दर पर लिया गया एक करोड़ का लोन इंटरेस्ट रेट के चलते आपके 60 लाख रुपये तक खर्च कराएगा.
मार्केट में दर अगर घटकर 7.2 प्रतिशत पर आ जाए, तो आप 30 साल में करीब 15 लाख रुपये तक की बचत करेंगे.
मासिक भुगतान आपकी आय, ऋण और अन्य चीजों पर आधारित होते हैं. समय के साथ हो सकता है कि आप प्रमोट हो जाएं या आपने अपने पुराने कर्ज चुका दिए हों.
ऐसे में आप किश्त की राशि बढ़ाने की स्थिति में होंगे. यहां रीफाइनेंस कराना आपके लिए मददगाम साबित होगा. 30 साल के लॉन्ग-टर्म लोन को घटाकर आप 15 साल के शॉर्ट-टर्म लोन में बदल सकते हैं.
इसी तरह पैसे की तंगी होने पर आप मौजूदा किश्त को घटा भी सकते हैं. हालांकि, ऐसे में आप इंटरेस्ट के रूप में अधिक पैसे चुकाएंगे.
मौजूदा समय में अगर आप फ्लोटिंग रेट पर होम लोन चुका रहे हैं और आपको लगता है कि मौजूदा दर सही है, तो इस मामले में भी रीफाइनैंस कराया जा सकता है.
इससे आप निश्चिंत हो जाएंगे कि हर महीने एक ही दर पर किश्त भरी जानी है. दूसरी तरफ, अगर आप ऊंची दर पर कर्ज चुका रहे हैं, तो ऐसे में फिक्स्ड रेट को फ्लोटिंग में भी बदला जा सकता है.
(डिस्क्लेमर: लेखक बेसिक होम लोन के सह-संस्थापक और सीईओ हैं. ये उनके निजी विचार हैं)