Home Loan: अगर आपने Home Loan ले रखा है और साथ ही बैंक खाते में काफी कैश भी जमा तो सवाल उठता है कि आप उस पैसे का इस्तेमाल कैसे करें? कर्ज मुक्त रहना हमेशा एक अच्छी फीलिंग होती है. इससे आपका घर सुरक्षित रहता है, प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट बैंक से निकलकर आपके पास आ जाते हैं और आप 15-20 साल के कर्ज की चिंता मुक्त हो जाते हैं. इसके साथ ही आप चिंता मुक्त रहकर अपनी कमाई से दूसरे विकल्पों में भी निवेश कर सकते हैं. जबकि दूसरी तरफ, अपने पास मौजूद रकम को निवेश करने से आप और पैसा कमा सकते हैं. साथ ही निवेश से होने वाले फायदे से आप अपना होम लोन भी चुका सकते हैं.
नियमित अंतराल पर होम लोन का प्री-पेमेंट करना एक अच्छा फैसला है. आखिरकार कौन कर्ज मुक्त रहना पसंद नहीं करता है. लेकिन अपना सारा पैसा प्री-पेमेंट में दे देना भी सही फैसला नहीं है.
दूसरे शब्दों में, वित्तीय देनदारियों को कम करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि अपनी संपत्ति को बढ़ाना. अपनी देनदारियों को जल्द खत्म कर देना भी अच्छा फैसला नहीं माना जाता है.
क्योंकि ये आपको खराब निवेश के फैसले और धन के गलत इस्तेमाल की ओर धकेल सकता है. इसलिए देनदारियों और निवेश का मिश्रण आपको व्यवस्थित, फोक्स्ड और अनुशासित बनाए रखता है.
आपको सबसे पहले अपना पैसा दो उपयुक्त अनुपात में बांट देना चाहिए. मान लीजिए आपने इसे 60:40 के अनुपात में बांटा है, तो बड़े हिस्से से अपने होम लोन का प्री-पेमेंट कर दीजिए.
जबकि बचे हुए हिस्से को अपनी पसंद, रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार नए निवेश जैसे स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स और फिक्स्ड डिपोजिट आदि में लगा देना चाहिए.
कोई आपको ये तर्क दे सकता है कि घर भी एक भौतिक संपत्ति है और लोन पूर्व भुगतान आपको इससे पूरी तरह से हासिल करने में मदद करेगा, तो क्यों न पूरे पैसे को प्री-पेमेंट में लगा देना चाहिए.
लेकिन अंत में, ये सोचने वाली बात है कि प्री-पेमेंट में आप मूलधन के साथ साथ ब्याज का भी भुगतान कर रहे हैं. जो आपकी वित्तीय देनदारियों में शुमार है.
इसके अलावा, प्री-पेमेंट के लिए सभी कैश का इस्तेमाल करके आप निवेश के स्टैंडर्ड और तय-नियम का उल्लंघन करेंगे: एसेट डायवर्सिफिकेशन
अब लौटते हैं धन के बंटवारे पर: 60 फीसदी कोष प्री-पेमेंट में दे देने के बाद आपके पास दो विकल्प बचते हैं. पहला लोन के टेन्योर को कम करना (इससे आपके लोन अमाउंट के साथ साथ ब्याज भी कम होगा) और दूसरा आपकी ईएमआई की रकम कम हो जाएगी लेकिन टेन्योर बराबर रहेगा. दोनों ही तरीके किसी भी लोन लेने वाले शख्स के लिए बेहतर हैं.
पहले विकल्प को चुनकर आप जल्दी होम लोन के चक्कर से मुक्त हो सकते हैं. इससे आप ईएमआई के जरिए बचने वाली रकम को अलग अलग निवेश विकल्पों में लगा सकते हैं.
दूसरी तरफ, ईएमआई कम कराने पर आपके हाथ में ज्यादा कैश रहेगा. इस बचत से आप दोबारा प्री-पेमेंट कर सकते हैं या दूसरे अन्य विकल्पों में निवेश कर सकते हैं.
पैसों को बांटने वाले इस समझदारी भरे फैसले से आप न सिर्फ अपना होम लोन जल्दी चुका सकते हैं बल्कि निवेश करके अलग अलग कैटेगरी में दूसरी संपत्तियां भी जुटा सकते हैं. इसके अलावा, यह न सिर्फ आपके वित्तीय खतरों को दूर करने में मदद करेगा.
हालांकि, प्री-पेमेंट के विकल्प को चुनने से पहले दो बातों पर विचार करना जरूरी है.
पहला- आपके लोन की ब्याज दर क्या है? अगर आपको जानकारी नहीं है तो अपने बैंक या वित्तीय इंस्टिट्यूट से जानकारी हासिल करें.
ये फिक्स्ड है या फ्लोटिंग (एडजस्टेबल) ब्याज दर? आमतौर पर ज्यादातर कर्जदाता फिक्स्ड रेट लोन पर प्री-पेमेंट पेनल्टी का प्रावधान रखते हैं. यह आम तौर पर प्री-पेड राशि और टैक्स का लगभग 2% होता है.
फ्लोटिंग रेट लोन पर कोई पेनल्टी नहीं होती है. हालांकि, इस पर थोड़ी सी ब्याज लगाई जाती है.
दूसरा- आप अपने लोन की अवधि में फिलहाल कहां हैं? आपको पता होना चाहिए कि लोन के शुरुआती दौर में प्री-पेमेंट करने से आपको ब्याज में ज्यादा बचत का फायदा होता है क्योंकि इस दौरान आप सबसे ज्यादा ब्याज अदा कर रहे होते हैं.
अगर आप लोन अवधि के शुरुआती दौर में हैं, तो आपको सलाह दी जाएगी कि आप ज्यादा से ज्यादा कैश को प्री-पेमेंट में अदा करें.
उदाहरण के लिए अगर आपके लोन की अवधि 20 साल है तो सलाह दी जाती है कि शुरुआती 10 सालों में आपको लगातार प्री-पेमेंट करना चाहिए. असल में, प्री-पेमेंट का ज्यादा प्रभावी असर शुरुआती कुछ सालों में देखने को मिलता है.
हाथ में पैसे होना हमेशा एक कॉन्फिडेंस देता है. हालांकि बेहतर परिणाम के लिए पैसों को बेहद सावधानी से मैनेज करना चाहिए.
इसलिए प्री-पेमेंट और निवेश के विभाजन को बेहतर तरीके से समझें ताकि दोनों ही हालातों में आपको बेहतर रिजल्ट मिल सकें.