Education Loan: शिक्षा हर बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार है, लेकिन शिक्षा पर बढ़ता खर्च हरेक के जेब पर भारी पड़ता है. ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को अपने बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए दाखिला दिलाना मुश्किल होता है. ऐसे लोगों के लिए सरकार एक योजना लेकर आई है कि कोई मेधावी और योग्य छात्र केवल गरीब होने के कारण उच्च शिक्षा लेने से वंचित नहीं रह जाए। यह सुविधा हर बैंक में उपलब्ध है.
सेंट्रल सेक्टर इंटरेस्ट सब्सिडी स्कीम (CSIS Scheme) योजना को 2009 में लॉन्च किया गया और 2018 में इसे संशोधित किया गया.
इस स्कीम में लोन लेने वाले को ना तो कोई भी वस्तु गिरवी रखनी होती है ना ही थर्ड पार्टी गैरेंटर देना होता है. इसमें मोरेटोरियम (जब ऋण लेने वाले को ब्याज नहीं देना पड़े) तक की अवधि में लगने वाले ब्याज पर पूरी सब्सिडी मिलती है.
यह सरकारी योजना केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए है. इसके तहत अधिकतम साढ़े सात लाख रुपये तक के ऋण पर सब्सिडी मिलती है,
इस स्कीम के तहत ब्याज में सब्सिडी केवल उन छात्रों को मिलती है जो देश में ही तकनीकि या प्रोफेशनल कोर्स कर रहे हैं.
इस योजना में एजुकेशन लोन पर सब्सिडी केवल एक बार मिलती है – अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट या इंटीग्रेटेड कोर्स के लिए.
इसमें कोई भी संपत्ति गिरवी नहीं रखनी होती ना ही थर्ड पार्टी गारंटी की जरूरत पड़ती है.
एजुकेशन लोन इंट्रेस्ट सब्सिडी योजना का लाभ केवल वही छात्र उठा सकते हैं जिनके माता-पिता या परिवार का सालाना ग्रॉस इनकम साढ़े चार लाख रुपये से कम हो. ये स्कीम केवल मान्यता प्राप्त प्रोफेशनल या तकनीकी कोर्स के लिए ही लागू होती है.
अलग-अलग बैंक की ब्याज दरें अलग अलग होती हैं. ये बैंक के प्राइम लेंडिंग रेट (BPLR) या बेस रेट के मुताबिक होगा और आईबीए मॉडल एजुकेशनल लोन स्कीम के प्रावधानों के मुताबिक होगा.
सीएसआईएस योजना के तहत छात्रो को इंट्रेस्ट मोरेटोरियम की सुविधा मिलती है. ब्याज पाठ्यक्रम की कुल अवधि के एक साल बाद तक नहीं लगता.
इस दौरान एजुकेशन लोन पर ऋण पर का ब्याज सरकार वहन करती है। इस अवधि के बीत जाने के बाद बकाया राशि पर ब्याज और मूल धन ऋण लेने वाले छात्र को चुकाना पड़ता है.
योजना के तहत अगर कोई ग्राहक ब्याज का रिपेमेंट मोरेटोरिटम पीरियड में ही करता है तो उसे ब्याज दर में एक फीसदी की छूट मिलती है.