Limit & Penalty in Cash Transaction: यदि आपके घर में शादी है या घर की मरम्मत करवा रहे हैं तो कई मामलों में छोटे-छोटे पेमेंट करने के लिए आपको कैश में लेनदेन करने की जरूरत पड़ सकती है क्योंकि छोटे वेंडर कैश में पेमेंट का स्वीकार करना पसंद करते हैं. ऐसा करने से उनको भी आगे पेमेंट करने के लिए बैंक या एटीएम में जाने कि जरूरत नहीं पड़ती. छोटे वेंडर के साथ मजदूरी पर काम करने वाले लोगों को भी एक दिन के काम का पैसा उसी दिन चुकाना पड़ता है इसलिए कैश ट्रांजैक्शंस उनके लिए आसान और ज्यादा सरल रहता है. लेकिन, ऐसा करने से आपको इनकम टैक्स के नियमों का ध्यान रखना होगा क्योंकि कैश ट्रांजैक्शंस के लिए कुछ सीमाएं तय की गई हैं, और उसके ऊपर कैश पेमेंट करने पर आपको 100 फीसदी जुर्माना भी चुकाने के नौबत आ सकती हैं.
– धारा 40A(3)और धारा 43 – नकद भुगतान से संबंधित है.
– धारा 269SS और धारा 269ST – नकद प्राप्तियों से संबंधित है.
– धारा 269T – कुछ लोन / डिपॉजिट के पुनर्भुगतान से संबंधित है.
आयकर अधिनियम की धारा 40A(3) के तहत, यदि 10,000 रुपये से अधिक के किसी भी व्यय का भुगतान नकद में किया जाता है, तो इनकम टैक्स अधिनियम के तहत व्यय की अनुमति नहीं होगी. इसलिए, सभी करदाताओं के लिए डेबिट कार्ड, अकाउंट ट्रांसफर, चेक या डिमांड ड्राफ्ट जैसे बैंकिंग चैनलों के माध्यम से 10,000 रुपये से अधिक के खर्च का भुगतान करना महत्वपूर्ण है.
धारा 43 के तहत, यदि करदाता द्वारा संपत्ति के अधिग्रहण के लिए 10,000 रुपये से अधिक का भुगतान नकद द्वारा किया जाता है, तो संपत्ति की वास्तविक लागत के निर्धारण के प्रयोजनों के लिए व्यय को नजरअंदाज कर दिया जाएगा. इसलिए, संपत्ति प्राप्त करने के लिए बैंकिंग चैनलों के माध्यम से भुगतान करना महत्वपूर्ण है.
धारा 269SS एक करदाता को ऋण या जमा या नकद में 20,000 रुपये से अधिक की राशि लेने/स्वीकार करने से रोकती है. 20,000 रुपये से अधिक के सभी ऋण और जमा हमेशा एक बैंकिंग चैनल के माध्यम से लिए जाने चाहिए.
हालांकि, सरकार, या कोई भी बैंकिंग कंपनी, डाकघर बचत बैंक या सहकारी बैंक, केंद्रीय, राज्य या प्रांतीय अधिनियम द्वारा स्थापित कोई भी निगम, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 के खंड (45) में परिभाषित कोई भी सरकारी कंपनी से ऋण या जमा स्वीकार/लेते समय धारा 269SS लागू नहीं होती है.
धारा 269SS के प्रावधानों का पालन करने में विफलता के कारण ऋण या जमा राशि या स्वीकृत निर्दिष्ट राशि के बराबर जुर्माना लगाया जा सकता है, यानी 100% जुर्माना लग सकता हैं. यदि आप किसी व्यक्ति को 20,000 रुपये से अधिक रकम उधार देते हैं तो आपको 20,000 रुपये का जुर्माना चुकाना होगा.
धारा 269ST में प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति 2 लाख रुपये या उससे अधिक की राशि नकद में प्राप्त नहीं कर सकता है. एक दिन में एक व्यक्ति से कुल मिलाकर या एकल लेनदेन के संबंध में या किसी व्यक्ति से एक घटना या अवसर से संबंधित लेनदेन के संबंध में भी इतनी राशि की लेनदेन करने की छूट नहीं हैं.
धारा 271DA के अनुसार, धारा 269ST के प्रावधानों का पालन करने में विफलता के मामले में, रसीद की राशि के बराबर जुर्माना राशि देय है, यानी, 100% जुर्माना लागू होता है.
धारा 269T में प्रावधान है कि बैंकिंग कंपनी या सहकारी समिति, फर्म या अन्य व्यक्ति की कोई भी शाखा किसी भी ऋण या जमा का भुगतान नहीं कर सकती है. इसकी सीमा 20,000 रुपये है. ब्याज के साथ भी लोन या डिपॉजिट अमाउंट इस सीमा से ज्यादा नही होनी चाहिए.
धारा 271E के अनुसार, धारा 269T के प्रावधानों का पालन करने में विफलता के मामले में, ऋण या जमा की गई राशि के बराबर जुर्माना राशि देय है.