बुधवार को यूनियन कैबिनेट ने डिपॉजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन बिल (DICGC) में संशोधन को मंजूरी दे दी है. इस एक्ट के मुताबिक, किसी भी कमर्शियल बैंक और वित्तीय संस्थान में जमाकर्ता विशेष कैटेगरी के तहत बैंक से सहायता पाने का पात्र है. इसके बाद कोई भी ग्राहक बैंक से मोरेटोरियम के तहत 90 दिनों के भीतर 5 लाख रुपये तक की जमा राशि की वसूली कर सकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक इस एक्ट को वर्तमान में चल रहे मॉनसून सत्र में पेश किया जा सकता है.
पहले 45 दिन
यूनियन कैबिनेट इस बात पर राजी है कि निवेशक 90 दिनों के भीतर जमा किए गए धन पर क्लेम या उसकी वसूली कर सकते हैं.
इसके पहले 45 दिनों में दिवालिएपन की कगार पर खड़े बैंक अपने सभी अकाउंट हो हैंड ओवर करेंगे, जहां उन्हें क्लेम करने होंगे. इन्हें प्रस्तावित DICGC को दिया जाएगा.
भारत में ऑपरेट करने वाले विदेशी बैंकों की सहायक कंपनियां सहित भारत में सभी कमर्शियल बैंक इस कानून के अधीन होंगे. जो उन संस्थानों पर भी लागू होंगे जो अब मोरेटोरियम के अधीन हैं.
सभी जमाकर्ता
इस स्कीम के तहत सभी निवेशक और जमाकर्ता इसमें शामिल हैं. केंद्र सरकार ने बताया कि कम के सम 98.3 फीसदी जमाकर्ता इसके तहत शामिल होंगे.
एक बार जब बिल कानून में बदल जाएगा, इससे ग्राहकों को तत्काल राहत मिलेगी जिन्होंने अपना पैसा संकट से घिरे लेंडर्स और दूसरे छोटे कॉरपोरेटिव बैंक में जमा कर रखा है.
कैसे काम करता है
DICGC इस बात की गारंटी देता है कि मूलधन के अतिरिक्त आपको ब्याज सहित अधिकतम 5 लाख रुपए मिल सकेंगे. उदाहरण के लिए
अगर किसी का 4.9 लाख रुपये बैंक खाते में जमा है तो ब्याज लगाकर DICGC से ग्राहकों को मिलने वाली कुल राशि 4.98 लाख रुपये होगी.
जमाकर्ता को पूरी राशि इसलिए मिली क्योंकि वो 5 लाख की लिमिट से कम है.
अगर व्यक्ति के खाते में 5 लाख रुपये जमा है तो उन्हें ब्याज का लाभ नहीं मिल सकेगा. यह इसलिए नहीं क्योंकि वो ब्याज है बल्कि इसलिए कि कुल राशि तय लिमिट 5 लाख रुपये से ज्यादा है.
इसलिए, आपके खाते में कितने भी रुपए जमा हों लेकिन आपको बैंक डूबने की स्थिति में अधिकतम 5 लाख रुपये ही मिल सकेंगे.
क्या है कवर?
DICGC एक्ट के तहत सभी जमाकर्ताओं की बचत, फिक्स्ड डिपोजिट, करेंट और जमा-आवर्ति के तहत जमा रकम की सुरक्षा होती है. विदेशी सरकारों की जमाराशियां, केंद्र/राज्य सरकारों की जमाराशियां भी इस स्कीम के तहत आती हैं. विदेश से आने वाली और बैंक खाते में जमा राशि भी भारतीय कानून के अंतर्गत आती है.
कोई भी राशि, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक के पहले मिले अप्रूवल से निगम कॉरपोरेशन को विशेष रूप से छूट दी गई है, वह भी इस प्रस्ताव के लिए पात्र है.
पात्र बैंक
पब्लिक सेक्ट बैंक के सभी जमाकर्ता, प्राइवेट सेक्टर बैंक, विदेशी बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक, पेमेंट बैंक इस इंश्योरेंस के अंतर्गत आते हैं.
इसके अलावा, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लोकल बैंक, राज्य सहकारी बैंकों, जिला सहकारी बैंकों और शहरी सहकारी बैंकों के निवेशक भी बीमा का क्लेम करने में सक्षम हैं.