Debit Card से गलत लेन-देन पर क्या सरकार मुआवजा देगी? जानें क्या है जवाब

Debit Card Fraud alert- सेंट्रल बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को इस बारे में अलर्ट किया गया है. इन रिपोर्ट्स को वेरिफाई कर जरूर कदम उठाएं है.

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वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर संसद में बताया कि भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In) के मुताबिक, ऐसी एक रिपोर्ट अक्टूर 2019 में आई थी. उस रिपोर्ट में बताया गया है कि 13 लाख भारतीय क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्डधारकों की जानकारी डार्कनेट फोरम पर मौजूद है. उन्होंने बताया कि सेंट्रल बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI-Reserve Bank of India) को इस बारे में अलर्ट किया गया है. इन रिपोर्ट्स को वेरिफाई कर जरूर कदम उठाएं है.

डेबिट कार्ड से गलत लेन-देन होने पर क्या सरकार मुआवजा देगी
एक सवाल में सरकार से पूछा गया है कि अगर डेटा चोरी की वजह से किसी ग्राहक को नुकसान हुआ तो क्या बैंक या सरकार उसके लिए मुआवजा देगी. केंद्र सरकार ने बताया कि कस्टमर की गलती नहीं होने पर बैंक इसका मुआवजा देगा. RBI ने फ्रॉड डिजिटल ट्रांजैक्शन की स्थिति में जिम्मेवारियों पर 6 जुलाई 2017 को एक फ्रेमवर्क जारी किया था. जिसके मुताबिक कस्टमर की जिम्मेदारी कहां तय होगी.

ग्राहक को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा अगर गलती बैंक की तरफ से हुई है. अगर गलती न तो बैंक की है न कस्टमर की, बल्कि सिस्टम में कहीं चूक हुई है और इसकी जानकारी कस्टमर तीन कामकाजी दिनों के अंदर बैंक को दे देता है. अगर नुकसान खुद कस्टमर की गलती से हुआ है, ऐसे में कस्टमर को सारा नुकसान खुद उठाना होगा जब तक कि वो बैंक को इस लेन-देन की सूचना देता है

अगर गलती न तो कस्टमर की है और न ही बैंक की बल्कि सिस्टम की चूक है जिसकी सूचना कस्टमर बैंक को 4 से 7 कामकाजी दिनों में दे देता है, तब कस्टमर को अधिकतम नुकसान 5000-25,000 रुपये उठाना होगा. अगर किसी गलत ट्रांजेक्शन की जानकारी 7 कामकाजी दिनों के बाद दी जाती है, तब कस्टमर की जिम्मेवारी बैंक के बोर्ड अप्रूवल पॉलिसी से तय होगी.

सरकार ने क्या उठाए जरूरी कदम
अनुराग ठाकुर ने बताया कि देश में डिजिटल पेमेंट सिस्टम में साइबर सिक्योरिटी को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं. आइए जानें इसके बारे में…

(1) CERT-In ने रिजर्व बैंक और बैंकों के साथ मिलकर फिशिंग वेबसाइट्स को ट्रैक कर उसे डिसेबल कर दिया है.

(2) CERT-In लेटेस्ट साइबर अटैक और उसके समाधान को लेकर लगातार लोगों को सतर्क कर रहा है.

(3) बेहतर इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी के लिए कंपनियों में अब सिक्योरिटी ऑडिट को जरूरी किया गया है.

(4) सरकार के साइबर केंद्र आम लोगों और कंपनियों को ऐसे मालवेयर प्रोग्राम से निपटने के लिए मुफ्त में टूल्स मुहैया कराते हैं.

(5) नेशनल साइबर को-ऑर्डिनेशन सेंटर बनाए गए है. जो साइबर सिक्योरिटी से जुड़े अलर्ट जारी करते है.

Published - March 22, 2021, 08:15 IST