Cybersecurity: लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं

भारत को अपनी cybersecurity को तत्काल आधार पर मजबूत करने की जरूरत है. एक नेशनल साइबर सिक्योरिटी स्ट्रैटेजी अभी तक तैयार नहीं हो पाई है.

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रिजर्व बैंक ने बैंकों को ऐसे मामले में नर्म रुख रखने के लिए कहा है.

रिजर्व बैंक ने बैंकों को ऐसे मामले में नर्म रुख रखने के लिए कहा है.

साइबर सिक्योरिटी (cybersecurity) आज के दौर की एक सबसे बड़ी चुनौती बन गई है. हालांकि, तमाम एजेंसियों ने बताया है कि हाल के दौर में ऑनलाइन और डिजिटल फ्रॉड्स में इजाफा हुआ है, लेकिन भारत साइबर सिक्योरिटी (cybersecurity) इंडेक्स 2020 में छलांग लगाते हुए पहली 10 पोजिशन में पहुंच गया है. UN संस्था, इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन के मुताबिक, भारत ने इस इंडेक्स में 37 पायदान की छलांग लगाकर 10वीं पोजिशन हासिल की है.

इस लिस्ट में 182 देश शामिल हैं और इसमें US टॉप स्पॉट पर है, जबकि यमन इसमें सबसे नीचे है. अमरीका का स्कोर 100 है, जबकि यमन का स्कोर 0 है.

इस लिस्ट में भारत का स्कोर 97.5 रहा है. अमरीका और भारत के बीच में यूके, सऊदी अरब (दोनों 99.54 पर), एस्टोनिया (99.48), दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, स्पेन (सभी 98.52), रूस, यूएई, मलेशिया (सभी 98.6), लिथुआनिया (97.93), जापान (97.82), कनाडा (97.67) और फ्रांस (97.6) हैं.

हालांकि, भारत ने साइबर सिक्योरिटी (cybersecurity) की दिशा में काफी काम किया है, लेकिन ये बात नोट करने वाली है कि ये एक तुलनात्मक प्रदर्शन है और फ्रॉड करने वाले लगातार अलग-अलग और बेहद जटिल तकनीकों का इस्तेमाल दूसरों का पैसा चुराने में कर रहे हैं.

ऐसे में भारत को अपनी साइबर सिक्योरिटी (cybersecurity) को तत्काल आधार पर मजबूत करने की जरूरत है. एक नेशनल साइबर सिक्योरिटी (cybersecurity) स्ट्रैटेजी को बनाया जा रहा है, लेकिन इसे अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है.

मई और जून में ऐसी खबरें आई हैं कि कुछ कंपनियों में हैकर्स के डेटा ब्रीच करने से कई सरकारी अधिकारियों की ईमेल्स और पासवर्ड चोरी हो गए हैं.

फरवरी में भी सरकारी अधिकारियों को निशाना बनाया गया. ये अफसर इंटरनल ईमेल्स ग्रुप्स का हिस्सा थे और इनमें से कुछ उच्च स्तर के अधिकारी हैं.

हालांकि, इस तरह के हमले अक्सर देश के बाहर से किए जाते हैं, लेकिन इनकी पहुंच अहम जानकारियों तक हो सकती है. दूसरी ओर, आम लोग लगातार इस तरह के फर्जीवाड़ा करने वालों का शिकार होते रहते हैं. लोगों की गाढ़ी कमाई में ये हैकर्स आसानी से सेंध लगा लेते हैं.

बैंकों ने वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 244 करोड़ रुपये के ATM-डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और ऑनलाइन बैंकिंग के फ्रॉड्स की खबर दी है. नीति आयोग भी साइबर फ्रॉड करने वालों की एक रिपॉजिटरी बनाने की जरूरत पर जोर दे चुका है.

ऐसे में इस वक्त साइबर सिक्योरिटी (cybersecurity) में किसी भी तरह की लापरवाही की गुंजाइश नहीं है.

Published - June 30, 2021, 06:41 IST