बैंक अपने कस्टमर्स को कई तरह की सर्विस देते हैं. आप भी बैंक की कई सर्विस का उपयोग करते होंगे, लेकिन क्या आपको मालूम है कि बैंक इन सर्विस का लाभ लेने पर चार्ज भी वसूलता है. बहुत से लोगों को सर्विस पर लगने वाले चार्ज के बारे में जानकारी नहीं होती है. ऐसे में सर्विस का इस्तेमाल करने पर उनके अकाउंट से पैसे कटते हैं.
जानिए आखिर क्या होता है कॉन्सोलिडेटेड चार्ज
हर अकाउंट की उसकी कैटगरी के हिसाब से कुछ चार्ज लिए जाते हैं. इन्हीं सभी चार्ज को मिलाकर कॉन्सोलिडेटेड चार्ज का नाम दिया गया है. इसके तहत अकाउंट में मिनिमम बैलेंस मेंटेन न रखने, डेबिट कार्ड चार्ज, मैसेज अलर्ट, तय सीमा से अधिक बार ATM से पैसा निकालना, चेक बाउंस होने या ऑटो डेबिट फेल्योर इन सभी कामों पर लगने वाले चार्ज को कंसॉलिडेटेड चार्ज में गिना जाता है.
कैश ट्रांजेक्शन चार्ज
बैंक सीमित कैश ट्रांजैक्शन की सुविधा देते हैं और आप महीने में तय नियमों के मुताबिक 4-5 ट्रांजैक्शन कर सकते हैं. तय संख्या के बाद भी यदि आप कोई कैश ट्रांजैक्शन करते हैं तो इस पर चार्ज लगता है.
ATM ट्रांजैक्शन चार्ज
बैंक अपने ग्रहाकों को एटीएम से सीमित संख्या में फ्री ट्रांजैक्शन की इजाजत देते हैं. तय संख्या से ज्यादा ट्रांजैक्शन करने पर बैंक चार्ज लेता है.
मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर चार्ज
अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने पर भी बैंक चार्ज लेते हैं. न्यूनतम बैलेंस की लिमिट शहरी और ग्रामीण एरिया के हिसाब से अलग-अलग होती है.
डॉक्यूमेंटेशन चार्ज
बैंक ग्राहक से डॉक्यूमेंटेशन के लिए भी चार्ज लेते हैं. जैसे अकाउंट स्टेटमेंट जारी करने का चार्ज, डुप्लिकेट पासबुक जारी करने पर चार्ज आदि इसमें शामिल हैं.
फंड ट्रांसफर चार्ज
बैंक कस्टमर्स के लिए NEFT और RTGS ट्रांजैक्शन फ्री हैं, लेकिन IMPS ट्रांजैक्शन पर चार्ज लगता है. यह चार्ज ट्रांसफर होने वाली राशि पर आधारित होता है.
कॉन्सोलिडेटेड चार्ज का नियम
अगर ग्राहक के खाते से कॉन्सोलिडेटेड चार्ज कट जाए तो वह वापस होगा या नहीं, यह मामले-मामले पर निर्भर करता है. अगर किसी टेक्निकल गलती के चलते खाते से पैसा कट जाए तो वह रिफंड होगा. लेकिन कॉन्सोलिडेटेड के नाम पर पैसा कट जाए तो उसके वापस होने की गुंजाइश न के बराबर है. अगर बैंक की गलती से कोई चार्ज कट जाए, जैसे मोबाइल ऐप से मोबाइल रिचार्ज किया और बिना रिचार्ज हुए पैसे कट जाए तो 7 दिन के अंदर वह रिफंड हो जाता है. यह बैंक का टेक्निकल एरर है जिसकी भरपाई बैंक से की जाती है. लेकिन कॉन्सोलिडेटेड चार्ज की वापस जल्द नहीं होती.
इसमें भी एक नियम है. मान लें आपने बैंक में कोई चेक जमा कराया लेकिन बैंक स्टाफ की देरी की वजह से चेक देर से जमा हुआ. ऐसे में आपके खाते में देर से बैलेंस जमा होगा. इस स्थिति में हो सकता है कि आपके खाते का मिनिमम बैलेंस गिर जाए और बैंक की तरफ से कॉन्सोलिडेटेड चार्ज काट लिया जाए. लेकिन चूंकि यह गलती आपकी नहीं बल्कि बैंक स्टाफ ने ही देरी से चेक जमा किया था. इसलिए आपके खाते से कटा कॉन्सोलिडेटेड चार्ज रिफंड होगा.