Check Truncation System: बैंक ग्राहकों को जल्द ही एक बड़ी राहत मिलने जा रही है. दूरदराज और ग्रामीण इलाकों में मौजूद जिन बैंकों में CTS (Check Truncation System) मौजूद नहीं है उन शाखाओं को भी अब इस सिस्टम को अपने यहां लागू करना पड़ेगा.
रिजर्व बैंक (RBI) ने इस बारे में सभी बैंकों को एक सर्कुलर जारी किया है. इस सर्कुलर में कहा गया है कि सभी बैंकों को अपनी सभी शाखाओं को CTS से जोड़ना पड़ेगा. रिजर्व बैंक ने इसके लिए सितंबर 2021 की डेडलाइन तय की है.
इस सुविधा के आने से बड़े पैमाने पर आम लोगों को राहत मिलेगी. दरअसल, बैंकों की जो शाखाएं फिलहाल CTS से जुड़ी हुई नहीं हैं, उनके ग्राहकों को अपने चेक क्लीयर कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इन ग्राहकों के चेक क्लीयरेंस में ज्यादा वक्त लगता है. जबकि जो शाखाएं CTS से जुड़ी हुई हैं वहां पर लोगों के चेक कम वक्त में क्लीयर हो जाते हैं.
CTS (Check Truncation System) का इस्तेमाल 2010 से किया जा रहा है और मौजूदा वक्त में देशभर की करीब 1.5 लाख शाखाएं इसके तहत काम कर रही हैं. पहले के सभी 1,219 गैर-सीटीएस क्लीयरिंग हाउसेज (ECCS सेंटर) सितंबर 2020 से CTS पर शिफ्ट कर दिए गए हैं.
हालांकि, आरबीआई ने अपने सर्कुलर में कहा है, “ऐसा पाया गया है कि बैंकों की कई शाखाएं ऐसी हैं जो कि किसी भी औपचारिक क्लीयरिंग व्यवस्था से बाहर हैं और इन शाखाओं के ग्राहकों को चेक क्लीयर होने में देरी के चलते मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. साथ ही इन चेक को कलेक्ट करने में खर्च भी आता है.”
CTS के तहत इमेज बेस्ड क्लीयरिंग मैकेनिज्म लागू किया गया है
आरबीआई ने कहा है कि सभी बैंकों को 30 सितंंबर 2021 तक इसे लागू करना होगा. हालांकि, आरबीआई ने बैंकों को इसके लिए अपनी मर्जी के मुताबिक मॉडल बनाने की इजाजत दी है.
क्या होता है CTS सिस्टम?
CTS एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत ड्रॉअर द्वारा जारी किए गए फिजिकल चेक को कहीं भेजने की जरूरत नहीं होती है. इसकी जगह पर चेक की इलेक्ट्रॉनिक इमेज को भुगतान करने वाली शाखा को भेज दिया जाता है. यह काम क्लीयरिंग हाउस के जरिए होता है. इसके साथ ही MICR बैंड, चेक पेश करने की तारीख, बैंक जैसे ब्योरे भी दर्ज किए जाते हैं. इस तरह से CTS के जरिए चेक को फिजिकल तौर पर कहीं पर भी भेजना नहीं पड़ता है. हालांकि, कुछ अपवादों में फिजिकल चेक भी एक शाखा से दूसरी जगह भेजा जाता है. इससे चेक क्लीयर होने में लगने वाला वक्त और फिजिकल चेक भेजने में होने वाला खर्च बच जाता है.