देश में चल रहे फेस्टिव सीजन में लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां सेल चला रही हैं. इसमें खरीदारी करने वालों को डिस्काउंट तो मिल ही रहे हैं, साथ में खरीदारी कर के बाद में पैसे चुकाने का विकल्प भी दिया जा रहा है. ‘Buy Now Pay Later’ (BNPL) से उन्हें सामान के लिए तुरंत पेमेंट नहीं करना पड़ रहा है.
ऑर्डर का भुगतान लेजीपे, सिंपल, कैपिटल फ्लोट, जेस्ट मनी, पाइन लैब्स जैसी फाइनेंशियल टेक्नॉलजी कंपनियां चेकआउट के समय कर दे रही हैं. ग्राहक इन पैसों को फिर 15, 30 या 45 दिनों में लौटा सकते हैं. पेमेंट के इस तरीके पर किसी तरह का ब्याज नहीं लगता. सिर्फ ट्रांजैक्शन फीस देनी होती है.
2 अरब डॉलर तक के हुए ट्रांजैक्शन
बाय नाउ पे लेटर का विकल्प फ्लिपकार्ट, पेटीएम, एमेजॉन जैसे ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स सहित बायजूस, अनएकेडमी जैसी ई-लर्निंग कंपनियां भी दे रही हैं. पेमेंट के इस तरीके के लिए वे उन फिनटेक फर्मों से हाथ मिला रही हैं, जिन्होंने अपने सर्विस पोर्टफोलियो में इसे शामिल किया है. ICICI और एक्सिस जैसे बैंक भी पे-लेटर को बढ़ावा दे रहे हैं. ट्रैक्सन के मुताबिक, देश में फिलहाल 33 ऐसे स्टार्टअप हैं जो BNPL पर फोकस कर रहे हैं.
कोरोना महामारी के बीच हुई पैसों की तंगी को देखते हुए कंपनियों ने पेमेंट के इस तरीके को भुनाया है. इंडस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में इस तरह से कुछ करोड़ डॉलर के कुल ट्रांजैक्शन हुए थे. बीते 18 महीनों में यह आंकड़ा बढ़कर 1.5-2 अरब डॉलर पहुंच चुका है.
फाइनेंशियल सर्विस कंपनी गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि 2024 तक देसी ई-कॉमर्स इंडस्ट्री 99 अरब डॉलर की हो जाएगी. ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज बढ़ने के साथ BNPL का विस्तार होने की भी उम्मीद है. अमेरिकी पेमेंट प्रोसेसिंग कंपनी वर्ल्डपे की ग्लोबल पेमेंट्स रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटरनेट कंपनियों के बीच BNPL का विकल्प देने वाले प्लेटफॉर्म्स की हिस्सेदारी 2024 तक नौ प्रतिशत हो जाएगी, जो फिलहाल तीन फीसदी है.
कंज्यूमर डेट बढ़ने का खतरा
इन आंकड़ों के बीच चिंता की बात यह है कि प्रक्रिया ट्रांसपेरेंट नहीं होने की वजह से कंज्यूमर डेट बढ़ने का खतरा हो सकता है. फिच रेटिंग्स की हालिया रिपोर्ट में बताया गया था कि BNPL सेक्टर अपने डेट की जानकारी स्पष्ट रूप से नहीं दे रहा है. पे लेटर की सुविधा देने वाली कई कंपनियां इनके बारे में क्रेडिट रिपोर्टिंग एजेंसियों को नहीं बता रही हैं क्योंकि वे इन्हें क्रेडिट प्रॉडक्ट के बजाय पेमेंट सर्विस के तौर पर पेश कर रही हैं.
BNPL से लिया जाने वाला कर्ज क्रेडिट फाइल में दर्ज नहीं होने की वजह से कर्ज लेने वाले पर बकाये का रिकॉर्ड नहीं बन रहा है, जिसे उसकी लोन हिस्ट्री के तौर पर देखा जा सके. वे एक बार में कई कर्जदाताओं से पैसे ले सकते हैं. लेंडर उनपर चढ़े कुल कर्ज का सही आंकलन नहीं कर पाने की वजह से उन्हें नया लोन देकर क्रेडिट डेट और बढ़ा सकते हैं.
आसानी से मिलने वाले फंड से फिजूलखर्ची को बढ़ावा मिल सकता है. लोग अपनी जेब की क्षमता से ऊपर जाकर खरीदारी करते हैं तो आगे चलकर उनके लिए कर्ज चुका पाना मुश्किल हो जाएगा.
अगर पेमेंट कर पाने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए ही BNPL का इस्तेमाल किया जाए, तो कइयों के लिए यह क्रेडिट कार्ड से बेहतर विकल्प बन सकता है. इसमें ब्याज, GST, सरचार्ज जैसे झंझट नहीं होते. डिजिटल तरीके से सबकुछ झटपट हो भी जाता है.