कोविड-19 की दूसरी लहर ने प्राइवेट बैंक के लिए नई कारोबारी चुनौती खड़ी कर दी है. आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, यस बैंक और फेडरल बैंक जैसे निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों ने जून, 2021 तिमाही में रिटेल लोन बिजनेस(retail loan business) में सुस्ती दिखाई देने की बात कही है.
ICICI बैंक ने बताया है कि बीती तिमाही के दौरान उसके 7,231 करोड़ रुपये के लोन फंस कर बैड लोन की श्रेणी में आ गए हैं. इसमें से 6,773 करोड़ रुपये का बड़ा हिस्सा रिटेल और छोटे कारोबारों के लिए दिए गए लोन का है. इसमें 1,130 करोड़ रुपये की हिस्सेरदारी गहने गिरवी रखकर दिए गए लोन (ज्वेलरी लोन) की है.
HDFC बैंक ने मार्च तिमाही की तुलना में जून तिमाही में अपने रिटेल लोन कारोबार में करीब 1% की गिरावट दर्ज़ की है. हालांकि उसकी सहयोगी कंपनी एचडीएफसी का कुल होम लोन और रिटेल लोन इस दौरान 30% बढ़कर 43,600 करोड़ रुपये हो गया.
यस बैंक ने जून में समाप्त तिमाही में 790 करोड़ रुपये के रिटेल लोन के बकाया में वृद्धि दर्ज की, जबकि मार्च में समाप्त तिमाही में बकाया कर्ज़ 234 करोड़ रुपये ही था. ब्लूमबर्गक्विंट की एक रिपोर्ट में यस बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशांत कुमार के हवाले से कहा गया है कि बैंक चालू वित्त वर्ष के लिए हॉस्पिटेलिटी, पर्यटन, ट्रैवल और रियल एस्टेकट जैसे कोविड प्रभावित सेक्टधरों को लोन देने से बचेगा.
एक्सिस बैंक को भी बीती तिमाही इसी तरह के संकट का सामना करना पड़ा. उसकी सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (GNP) 3.85% रहीं. यह मार्च तिमाही से 15 आधार अंक (BPS) अधिक थी. जून तिमाही में इसकी लगभग 84 फीसदी गिरावट रिटेल लोन के क्षेत्र से आई है.
फेडरल बैंक का अटका लोन मार्च में समाप्त तिमाही में 598 करोड़ रुपये की तुलना में जून में समाप्त तिमाही में बढ़कर 640 करोड़ रुपये हो गया. बिजनेस बैंकिंग (रिटेल सेगमेंट) का बैड लोन मार्च में 73 करोड़ से बढ़कर जून में 169 करोड़ रुपये हो गया. बैंक को 539 करोड़ रुपये के गोल्ड7 और बिजनेस लोन की रीस्ट्रक्चरिंग करनी पड़ी.
इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को एमएसएमई और रिटेल लोन पोर्टफोलियो की संपत्ति की गुणवत्ता (ऐसेट क्वा लिटी) पर बारीकी से नज़र रखने की हिदायत दी है. गैर-निष्पादित ऋणों में वृद्धि के लिए कोविड की दूसरी लहर को जिम्मेदार ठहराया गया है. साथ ही इसके चलते लोन की मांग में भी गिरावट की बात भी कही गई है. RBI ने एक रिपोर्ट में कहा कि अस्थायी रूप से प्रभावित एमएसएमई ऋणों के 25 करोड़ रुपये तक के पुनर्गठन की अनुमति देने के बाद, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने सभी योजनाओं के तहत लोन की रीस्ट्र क्च रिंग की है. इसके बावजूद इनके एमएसएमई लोन की स्थिति खराब बनी हुई है.
हालांकि, निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्र के बैंक फंसे कर्ज की वसूली को लेकर इस दौरान आशावान बने रहे. इस साल के अप्रैल और मई में सबसे खराब स्थिति देखने वाले बैंकों को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में अगर हालात खराब न हुए तो इन फंसे कर्जों की वसूली काफी हद तक हो जाएगी.