Bank Locker: बैंक लॉकर्स की डिमांड में उछाल आया है. ये लॉकर्स अपने दस्तावेजों, गहनों, महंगी धातुओं और कैश को सुरक्षित रखने का सबसे सस्ता जरिया हैं. इनके लिए आपको मामूली शुल्क देना पड़ता है. कोविड महामारी के चलते बड़ी संख्या में लोग शहरों से वापस अपने होमटाउन लौट रहे हैं. ऐसे में डिपॉजिट लॉकर एक जरूरत बन गए हैं.
गोल्ड की कीमतों में आई गिरावट के बाद कई इन्वेस्टर्स इसमें पैसा लगा रहे हैं. ऐसे में ये निवेशक भी लॉकर्स लेना चाहते हैं. हालांकि, ज्यादातर बैंक शाखाओं के लिए अपनी लॉकर कैपेसिटी का विस्तार करना मुश्किल है. बैंकों में आमतौर पर लॉकरों (Bank Locker) के लिए वेटिंग लिस्ट रहती है. इसके लिए आपको अपने आसपास की बैंक शाखा में जाना पड़ेगा और इस विकल्प की तलाश करनी होगी.
कैसे खुलेगा बैंक लॉकर?
मौजूदा बैंक कस्टमर्स को लॉकर (Bank Locker) लेने के लिए मामूली पेपर वर्क करना पड़ता है. जो लोग बैंक के कस्टमर नहीं हैं उन्हें लॉकर लेने के लिए पहले एक नया करेंट या सेविंग्स अकाउंट खुलवाना पड़ेगा. ज्यादातर बैंक लॉकर देने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट की मांग करते हैं. फिक्स्ड डिपॉजिट की मांग 10,000 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये या उससे भी ज्यादा की हो सकती है. ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस साइज का लॉकर चाहते हैं और आपका शहर या लोकेशन क्या है.
कुछ बैंक 3-4 तरीके के लॉकर पेश कर रहे हैं. इनमें स्मॉल, मीडियम, लार्ज, एक्स्ट्रा लार्ज लॉकर शामिल हैं. लेकिन, ज्यादातर लॉकर दो तरह के होते हैं. ये हैं स्मॉल और लार्ज. आप केवाईसी दस्तावेज, पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ, अपने करेंट और सेविंग्स अकाउंट डिटेल्स और सिक्योरिटी डिपॉजिट देकर लॉकर ले सकते हैं. आपको लॉकर एग्रीमेंट पर भी करना होगा. साथ ही आपको अपने राज्य के हिसाब से स्टैंप ड्यूटी भी देनी होती है.
फीस और चार्ज
लॉकर खुलने के बाद आपको इसके लिए एक सालाना शुल्क बैंक को देना पड़ता है. यह चार्ज 2,000 रुपये से लेकर 20,000 रुपये सालाना तक हो सकता है. इस पर टैक्स अलग से लगता है. कुछ बैंक कस्टमर के प्रोफाइल के हिसाब से डिस्काउंट या छूट भी ऑफर करते हैं. आप डेबिट ऑथराइजेशन देकर अपने खाते से सीधे पैसे काटने की इजाजत भी बैंक को दे सकते हैं.
बैंकिंग कामकाज के दौरान आप अपने लॉकर (Bank Locker) को एक्सेस कर सकते हैं, लेकिन हर बैंक में विजिट्स की एक तय संख्या होती है. आमतौर पर ये संख्या सालाना 12 विजिट की होती है. इससे ज्यादा विजिट पर आपको प्रति विजिट एक शुल्क देना पड़ता है.
बैंकों में एक कर्मचारी को लॉकर्स की जिम्मेदारी सौंपी जाती है. लॉकर (Bank Locker) एक्सेस करने के लिए आपके पास एक जोड़ा चाबी होती हैं. एक चाबी बैंक लॉकर इंचार्ज के पास होती है, जबकि दूसरी चाबी कस्टमर के पास होती है. लॉकर खोलने के लिए दोनों चाबियां जरूरी होती हैं. लॉकर खुलने के बाद बैंक कर्मचारी वहां से चला जाता है. इस तरह से कस्टमर को निजता मिल जाती है. आप अपना काम पूरा करके इसे लॉक कर सकते हैं और बाहर जा सकते हैं. लॉकर को एक चाबी से ही बंद किया जा सकता है.
नॉमिनी
बैंक इंडिविजुअल्स/संयुक्त लॉकर होल्डर्स को नॉमिनी नियुक्त करने की इजाजत देते हैं.
लॉकर ऑपरेट करना जरूरी
रिजर्व बैंक के रेगुलेशंस के मुताबिक, अगर हाई रिस्क प्रोफाइल वाला कोई कस्टमर एक साल तक लगातार लॉकर (Bank Locker) नहीं ऑपरेट करता है, या फिर मीडियम रिस्क वाला कोई कस्टमर 3 साल तक लॉकर ऑपरेट नहीं करता है तो बैंक कस्टमर को तत्काल लॉकर ऑपरेट करने के लिए कह सकता है. बैंक आपको नोटिस भेजकर लॉकर ऑपरेट करने या फिर इसे सरेंडर करने के लिए भी कह सकता है.
अगर कस्टमर लॉकर ऑपरेट नहीं करने का सही जवाब नहीं दे पाता है या फिर ये उचित नहीं पाया जाता है तो बैंक आपका लॉकर (Bank Locker) कैंसिल कर सकता है. रेंट न चुकाए जाने पर भी बैंक ये एक्शन ले सकता है. हालांकि, मौजूदा महामारी के दौर में बैंक इस मामले में थोड़ी रियायत ग्राहकों को दे रहे हैं.
अगर लॉकर की चाबियां कस्टमर से खो जाती हैं तो बिना किसी देरी के शाखा को सूचित करना चाहिए.