जमाकर्ताओं का 10,000 करोड़ लौटाने के लिए इन बैंकों को नवंबर तक की मोहलत

Bank Deposit: पीएमसी बैंक और गुरु राघवेंद्र सहकारा बैंक को RBI ने अपने ग्राहकों को पैसे लौटाने के लिए नवंबर तक का वक्त दिया है.

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पब्लिक सेक्टर्स के बैंकों, निजी बैंकों, विदेशी बैंकों की शाखाओं, स्थानीय क्षेत्र के बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी वाणिज्यिक बैंक डीआईसीजीसी अधिनियम के अंतर्गत आते हैं.

पब्लिक सेक्टर्स के बैंकों, निजी बैंकों, विदेशी बैंकों की शाखाओं, स्थानीय क्षेत्र के बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी वाणिज्यिक बैंक डीआईसीजीसी अधिनियम के अंतर्गत आते हैं.

Bank Deposit: भारतीय रिजर्व बैंक की मोहलत के तहत बैंकों में जमाकर्ताओं का लगभग 10,000 करोड़ रुपये नवंबर तक हर हाल में उन्हें देना होगा. पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) बैंक और गुरु राघवेंद्र सहकारा बैंक को RBI ने अपने ग्राहकों को पैसे लौटाने के लिए नवंबर तक का वक्त दिया है. जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (संशोधन) अधिनियम ( Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation (Amendment) Act) के तहत पीएमसी और गुरु राघवेंद्र सहकारा बैंक को अपने योग्य ग्राहकों को नवंबर के अंत उनके 10,000 करोड़ रुपये लौटाने होंगे.

अभी तक खाताधारकों की फाइनल लिस्ट नहीं बनी

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि बैंकों ने अभी तक योग्य खाताधारकों की लिस्ट को अंतिम रूप नहीं दिया है. शुरुआती अनुमान बताते हैं कि कुल राशि लगभग 10,000 करोड़ रुपये है.

एक जमाकर्ता को कानून के तहत बैंक में सभी खातों में मूलधन और ब्याज सहित 5 लाख रुपये तक कवर किया जाता है. 4 फरवरी, 2020 को यह सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ा दी गई थी.

पूर्ण स्वामित्व वाली RBI की सहायक कंपनी डीआईसीजीसी (DICGC) बैंक जमा पर बीमा कवर प्रदान करती है. हाल के दिनों में हुए संशोधनों के मुताबिक संकटग्रस्त बैंक खाताधारकों की पूरी डिटेल्स डीआईसीजीसी को देते हैं. 45 दिनों के भीतर डीआईसीजीसी को सभी खातों का मिलान करना होता है.

पीएमसी के खिलाफ 2019 में शुरू हुई थी कार्रवाई

पीएमसी बैंक के खिलाफ आरबीआई की कार्रवाई सितंबर 2019 में हुई. जबकि गुरु राघवेंद्र सहकारा बैंक पर जनवरी 2019 से ही कई प्रतिबंध लगे हुए हैं. इसने जमाकर्ताओं द्वारा निकासी पर लिमिट तय कर दी है.

पीएमसी बैंक लिमिटेड के लिए एक संकल्प योजना प्रस्तावित करने के बाद आरबीआई ने सेंट्रम फाइनेंशियल सर्विसेज को एक छोटा वित्त बैंक स्थापित करने के लिए ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दे दी है. हालांकि, बैंक पर स्थगन (moratorium) 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है.

सभी बैंक डीआईसीजीसी अधिनियम के अंतर्गत आते हैं

पब्लिक सेक्टर्स के बैंकों, निजी बैंकों, विदेशी बैंकों की शाखाओं, स्थानीय क्षेत्र के बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी वाणिज्यिक बैंक डीआईसीजीसी अधिनियम के अंतर्गत आते हैं.

सभी प्रकार की जमा, बचत, सावधि, चालू और आवर्ती बीमाकृत हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में विधेयक पेश करते हुए कहा था कि यह विधेयक छोटे जमाकर्ताओं का समर्थन करता है जो समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विधेयक है, जिसका बहुत लंबे समय से इंतजार कर रहे छोटे जमाकर्ताओं को फायदा होगा.

Published - September 13, 2021, 03:02 IST