अक्‍टूबर से लागू होने जा रहे Auto Debit के नए रूल, इन बैंकों ने RBI को दिया ये आश्वासन

Auto Debit Rule: नए नियम में यह भी कहा गया है कि 5,000 रुपये से अधिक के ऑटो-ट्रांजेक्शन के लिए एक अलग फ्लो की आवश्यकता होगी

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फ्रॉड से बचाता है एसबीआई का ओटीपी बेस्‍ड एटीएम कैश विड्रॉल

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Auto Debit Rule: भारत के तीन सबसे बड़े प्राइवेट लेंडर्स (निजी ऋणदाता) – HDFC बैंक, ICICI बैंक और AXIS बैंक 1 अक्टूबर की डेडलाइन से पहले रेकरिंग पेमेंट (recurring payments) को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मैंडेट को पूरा करेंगे. संबंधित बैंकों के प्रवक्ताओं के ग्राहकों के साथ किए गए संचार में ये प्रतिबद्धता जताई गई है. इसे लेकर इकोनॉमिक टाइम्स (ET) ने एक रिपोर्ट पब्लिश की है.

रिकरिंग पेमेंट एक ऐसा पेमेंट मॉडल है जहां ग्राहक मर्चेंट को गुड्स और सर्विस के लिए अपने अकाउंट से नियमित अंतराल पर ऑटोमेटिक रूप से फंड निकालने के लिए अधिकृत करते हैं.

एक बार जब ग्राहक अनुमति दे देते हैं, तो राशि पूर्वनिर्धारित अंतराल पर ऑटोमेटिक रूप से काट ली जाती है. ये प्रोसेस तब तक चलती है जब तक कि ग्राहक अपनी अनुमति वापस नहीं लेता या पहले से तय समय सीमा समाप्त नहीं हो जाती.

पेमेंट एग्रीगेटर्स के साथ मिलकर काम कर रहे बैंक

ये डेवलपमेंट ऐसे समय में आया है जब भारत के पेमेंट इकोसिस्टम, ऑनलाइन मर्चेंट्स और कंज्यूमर्स को केंद्रीय बैंक के नए नियमों के कारण डेबिट और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से रेकरिंग पेमेंट में बड़े पैमाने पर व्यवधान की आशंका है.

इकोनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से कहा, ये बैंक पेमेंट एग्रीगेटर्स रेजरपे और बिलडेस्क के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि एक कॉमन ई-मैंडेट प्लेटफॉर्म के साथ इंटीग्रेट किया जा सके जो कंप्लायंस सुनिश्चित करेगा.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए नियमों में कहा गया है कि बैंक ऑटो-डेबिट ट्रांजैक्शन की प्रक्रिया तभी कर सकते हैं जब वे पेमेंट से कम से कम 24 घंटे पहले ग्राहकों को प्री-डेबिट नोटिफिकेशन भेजते हैं.

क्या कहा बैंकों ने?

एक्सिस बैंक के ईवीपी और हेड-कार्ड्स एंड पेमेंट्स संजीव मोघे ने कहा, ‘हम आरबीआई के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए अगले 2-3 दिनों में लाइव होंगे.’

आईसीआईसीआई बैंक के एक प्रवक्ता ने कहा कि बैंक 1 अक्टूबर से एक कंप्लेंट सिस्टम के साथ लाइव हो जाएगा. एचडीएफसी बैंक का इसे लेकर कोई जवाब नहीं आया है.

हालांकि इकोनॉमिक टाइम्स ने कस्टमर कम्युनिकेशन को रिव्यू किया है जिससे पता चलता है कि एचडीएफसी भी कंप्लायंस की दिशा में भी काम कर रहा है.

एचडीएफसी बैंक के कस्टमर कम्युनिकेशन में कहा गया है, ‘एक कॉमन इंडस्ट्री-वाइड प्लेटफॉर्म डेवलप किया गया है, और एचडीएफसी बैंक ने अपना इंटरनल डेवलपमेंट और इंटीग्रेशन पूरा कर लिया है.

अब हम इसे जल्द से जल्द ग्राहकों के लिए लाइव करने के लिए मर्चेंट के साथ संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं.’

नियमों का पालन न करने पर सख्त नियामक कार्रवाई

कई बैंकों (Several banks) ने इस साल की शुरुआत में नियम का पालन करने में असमर्थता जताई थी. केंद्रीय बैंक ने पहले ही मार्च 2021 में इस नियम के कार्यान्वयन को स्थगित कर चुका है.

अपने सर्कुलर में केंद्रीय बैंक ने कड़े शब्दों में कहा था, सितंबर 2021 के बाद इस तरह के ट्रांजैक्शन को प्रोसेस करने वाले बैंकों को सख्त नियामक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.

5,000 रुपये से अधिक के ऑटो-ट्रांजेक्शन के लिए अलग फ्लो

नए नियम में यह भी कहा गया है कि 5,000 रुपये से अधिक के ऑटो-ट्रांजेक्शन के लिए एक अलग फ्लो की आवश्यकता होगी जिसके लिए ग्राहकों को ऐसे पेमेंट को वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) के साथ मैन्युअल रूप से प्रमाणित करने की आवश्यकता होगी.

भारत के कुछ सबसे बड़े इंटरनेट मर्चेंट – Google, Facebook, YouTube – ने पिछले कुछ दिनों में ग्राहकों को सूचित किया है कि नए नियम ई-मैंडेट आधारित रेकरिंग पेमेंट में बड़े पैमाने पर व्यवधान (disruptions) पैदा कर सकते हैं.

फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर्स, ओटीटी प्लेटफॉर्म, टेलीकॉम ऑपरेटर और न्यूज मीडिया भी इसे प्रभावित हो सकते हैं.

Published - September 24, 2021, 03:35 IST