ATM: एटीएम का प्रयोग करने वालों के लिए यह खबर ध्यान देने वाली है. बैंक ग्राहकों को मुफ्त लेनदेन की मासिक सीमा से अधिक होने पर 1 जनवरी, 2022 से 20 रुपये के बजाय प्रति लेनदेन 21 रुपये का भुगतान करना होगा. रिजर्व बैंक ने बैंकों को यह अनुमति दी है.
आरबीआई ने एक सर्कुलर में कहा कि बैंकों को हाई इंटरचेंज शुल्क के लिए क्षतिपूर्ति करने और लागत में सामान्य वृद्धि को देखते हुए, उन्हें ग्राहक शुल्क को प्रति लेनदेन 21 रुपये तक बढ़ाने की अनुमति है.
यह वृद्धि 1 जनवरी, 2022 से प्रभावी होगी.” हालांकि, ग्राहक अपने बैंक एटीएम से हर महीने पांच मुफ्त लेनदेन (फाइनेंशियल और नॉन-फाइनेंशियल लेनदेन सहित) के लिए पात्र बने रहेंगे.
वे मेट्रो सेंटर्स में अन्य बैंक के एटीएम से तीन और गैर-मेट्रो सेंटर्स में पांच मुफ्त लेनदेन भी कर सकेंगे.
1 अगस्त, 2021 से बैंकों को वित्तीय लेनदेन के लिए प्रति लेनदेन इंटरचेंज शुल्क 15 रुपये से बढ़ाकर 17 रुपये और सभी केंद्रों में गैर-वित्तीय लेनदेन के लिए 5 रुपये से बढ़ाकर 6 रुपये करने की अनुमति दी गई है.
एटीएम बैंकों द्वारा अपने स्वयं के ग्राहकों की सेवा के लिए बनाये किए जाते हैं और अन्य बैंकों के ग्राहकों को भी सेवाएं प्रदान करते हैं जहां वे इंटरचेंज इनकम अर्जित करते हैं.
केंद्रीय बैंक ने इंटरचेंज पर विशेष ध्यान देने के साथ ऑटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम) शुल्क की समीक्षा करने के लिए भारतीय बैंक संघ के मुख्य कार्यकारी की अध्यक्षता में जून 2019 में एक समिति का गठन किया था.
आरबीआई ने कहा कि पैनल के सुझावों की व्यापक जांच की गई. “यह भी देखा गया है कि एटीएम लेनदेन के लिए इंटरचेंज शुल्क संरचना में अंतिम परिवर्तन अगस्त 2012 में हुआ था. जबकि ग्राहकों द्वारा देय शुल्कों को अंतिम बार अगस्त 2014 में संशोधित किया गया था. इस प्रकार इन शुल्कों को अंतिम बार बदले जाने के बाद से काफी समय बीत चुका है.”
31 मार्च, 2021 तक 1,15,605 ऑनसाइट एटीएम और 97,970 ऑफ-साइट एटीएम थे. विभिन्न बैंकों द्वारा जारी किए गए लगभग 90 करोड़ डेबिट कार्ड मार्च 2021 के अंत में बकाया थे.
भारत में पहला एटीएम 1987 में HSBC द्वारा मुंबई में स्थापित किया गया था. अगले बारह वर्षों में भारत में लगभग 1,500 एटीएम स्थापित किए गए. वर्ष 1997 में इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) ने स्वधन की स्थापना की, जो साझा एटीएम का पहला नेटवर्क था, जिसने इंटरऑपरेबल लेनदेन की अनुमति दी थी.