एजुकेशन लोन लेने से पहले आपको पता होनी चाहिए ये 9 बातें

एजुकेशन लोन स्टूडेंट को लंबी अवधि के लिए फायदा देता है. लोन 6.75% -14% की रेंज में मौजूद हैं. लोन लेने से पहले NBFC से इंटरेस्ट की तुलना करनी चाहिए.

9 things every student should know before applying for education loan

एजुकेशन लोन स्कीम स्टूडेंट को लंबी अवधि के लिए लोन लेने का फायदा देती है.

एजुकेशन लोन स्कीम स्टूडेंट को लंबी अवधि के लिए लोन लेने का फायदा देती है.

एजुकेशन की बढ़ती कॉस्ट कई लोगों की जेब पर भारी पड़ती है, खासकर उस समय जब कई लोगों की इनकम इस महामारी से प्रभावित हुई हो. ऐसे में एजुकेशन लोन आपकी मदद करता है. एजुकेशन लोन की मदद से स्टूडेंट भारत और विदेश दोनों में कॉलेजों के लिए अप्लाई कर सकते हैं. कॉलेज खत्म करने के बाद, स्टूडेंट अपना लोन चुका सकते हैं. आप भी एजुकेशन लोन लेने जा रहे हैं तो आपको लोन ही इन चीजों की जानकारी होना चाहिए.

एजुकेशन लोन में ट्यूशन फीस, हॉस्टल फीस, ट्रेवल का खर्च आदि शामिल हैं. आपको अपने लैंडर के साथ यह पता लगाना होगा कि वो क्या ऑफर कर रहा है.

केवल भारतीय लोग ही इस एजुकेशन लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. इसी के साथ मान्यता प्राप्त कॉलेज के लेटर की भी जरूरत होती है .यदि व्यक्ति कमाई नहीं कर रहा है तो पेरेंट्स को-एप्लीकेंट बन सकते हैं. ज्यादा अमाउंट के लोन के लिए बैंक आमतौर पर किसी भी डिफॉल्ट से खुद को बचाने के लिए कॉलेटरल की मांग करते हैं.

एजुकेशन लोन स्कीम स्टूडेंट को लंबी अवधि के लिए लोन लेने का फायदा देती है. उदाहरण के लिए, 7.50 लाख रुपये तक के लोन के लिए अवधि 10 साल तक और 7.50 लाख रुपये से ज्यादा के लोन के लिए अवधि 15 साल तक बढ़ाई जा सकती है.

लोन लेने से पहले विभिन्न बैंकों और NBFC से इंटरेस्ट रेट की तुलना करनी चाहिए. एजुकेशन लोन 6.75% से 14% की रेंज में उपलब्ध है. इसलिए लोन लेने से पहले विभिन्न बैंकों और NBFC के इंटरेस्ट रेट की तुलना करने से आपको फायदा होगा.

इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80E के तहत होम लोन पर इनकम टैक्स बेनिफिट मिलता है. आपके एजुकेशन लोन पर भुगतान किया गया इंटरेस्ट रेट आपकी कुल इनकम में से डिडक्शन के लिए एलिजिबल है.

एजुकेशन लोन स्कीम रीपेमेंट होलिडे के साथ बहुत फ्लेक्सिबिलिटी प्रोवाइड करती है. लोन पेमेंट स्टडी पीरियड के साथ-साथ 6 महीने की मोरेटोरियम पीरियड या नौकरी मिलने के एक साल बाद, जो भी पहले हो उसके बाद शुरू होता है.

यदि किसी वजह से कोई स्टूडेंट मोरेटोरियम पीरियड में नौकरी नहीं ढूंढ पाता है तो वो टेन्योर एक्सटेंशन के लिए अप्लाई कर सकता है.

EMI डिफॉल्ट करने पर क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है. यह फ्यूचर में लोन लेने के लिए एक स्टूडेंट की एलिजिबिलिटी को भी प्रभावित कर सकता है. डिफॉल्ट गारंटर को भी प्रभावित कर सकता है.

पूरे देश में एजुकेशन इंस्टीट्यूट की भरमार को देखते हुए यह सुझाव दिया जाता है कि लोन के लिए अप्लाई करने से पहले इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न कैलकुलेट करें. कॉलेज की कुल कॉस्ट का रफ एस्टीमेट और आपकी संभावित कमाई से आपको अंदाजा हो जाएगा कि कोर्स करने लायक है या नहीं.

Published - October 13, 2021, 01:21 IST