Re-Registration: नौकरी या दूसरी वजहों से हम में से कई लोगों को एक राज्य से दूसरे राज्य शिफ्ट होना पड़ता है. ऐसे में आप अपनी गाड़ी को भी दूसरी जगह पर शिफ्ट करते हैं. ऐसे में आपको अपनी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन भी उस राज्य में कराना पड़ता है जहां पर आप शिफ्ट हो रहे हैं.
लेकिन, अब सरकार आपको गाड़ी के री-रजिस्ट्रेशन (Re-Registration) में बड़ी राहत देने जा रही है. रोड ट्रांसपोर्ट मंत्रालय ने इस बारे में ड्राफ रूल्स जारी किए हैं.
इन नियमों के जरिए एक राज्य से दूसरे राज्य में गाड़ी का दोबारा रजिस्ट्रेशन (Re-Registration) कराने की सोच रहे लोगों को इसमें आसानी होगी.
मौजूदा प्रक्रिया है काफी जटिल
गाड़ी का री-रजिस्ट्रेशन (Re-Registration) अब तक एक जटिल प्रक्रिया रही है और इसमें आपको कई दफा रजिस्टरिंग अथॉरिटी के चक्कर लगाने पड़ते हैं.
जहां आपकी गाड़ी रजिस्टर्ड है वहां से NOC लेनी पड़ती है और जहां रजिस्टर करा रहे हैं वहां के RTO में जाना पड़ता है और फीस जमा करनी होती है. इस तरह से ये एक थकाऊ प्रक्रिया है.
आसान बनाना है मकसद
सरकार ने इस बात को माना है कि नौकरी और दूसरी स्थितियों के चलते बड़ी संख्या में लोगों को एक जगह से दूसरी जगह पर शिफ्ट होना पड़ रहा है.
खासतौर पर पिछले साल कोविड-19 महामारी फैलने के बाद से बड़ी तादाद में लोग एक राज्य से दूसरे राज्य शिफ्ट हुए हैं. वर्क-फ्रॉम-होम की वजह से भी लोग अपने गृह जिलों में पहुंच गए हैं.
इस वजह से सरकार गाड़ियों के रीलोकेशन और रजिस्ट्रेशन (Re-Registration) की प्रक्रिया को आसान बनाना चाहती है.
क्या है सरकार का प्रस्ताव?
रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवेज मिनिस्ट्री व्हीकल रजिस्ट्रेशन का एक नया सिस्टम बनाने का प्रस्ताव लाई है. नए नियम में IN सीरीज के आवंटन किए जाएंगे और अभी इसे पायलट टेस्ट मोड पर चलाया जाएगा.
IN सीरीज के तहत ये व्हीकल रजिस्ट्रेशन फैसिलिटी डिफेंस से जुड़े लोगों, केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारियों, केंद्र और राज्य PSU और ऐसी प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों को शामिल किया गया है जिनके पांच या ज्यादा राज्यों में दफ्तर हैं.
मोटर व्हीकल टैक्स दो साल या दो साल के मल्टीपल के लिए लागू होगा. इस स्कीम के तहत आप नए राज्य में आसानी से अपने वाहन को ले जा सकते हैं.
सरकार ने यह कदम लोगों की सहूलयितों और इसे लेकर पैदा हो रही तकनीकी समस्या को देखते हुए उठाया है.
इस ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पर मंत्रालय ने 30 दिनों के भीतर राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के अलावा आम नागरिकों से सुझाव मांगा है.
इस पूरी प्रक्रिया का फायदा यह होगा कि लोगों को दोनों राज्यों के आरटीओ के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, क्योंकि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी.
वहीं जिन लोगों की ट्रांसफरेबल जॉब है उन्हें इसका काफी फायदा होगा.