'सख्त व्हीकल रिकॉल पॉलिसी के साथ कंज्यूमर्स को भी बदलनी होंगी आदतें'

Vehicle Recall: एक्सपर्ट मानते हैं कि सरकार का नोटिफिकेशन एक सही कदम है, लेकिन कंज्यूमर्स को भी अपनी आदतों में बदलाव करना होगा.

Vehicle Recall Policy, nitin gadkari, road safety, consumer, safe driving

PTI

PTI

अगर आपके पास कार है और उसमें कोई मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है और कार कंपनी आपकी शिकायत पर गौर नहीं कर रही है तो अब आपके लिए इसे ठीक करवाने के लिए कार कंपनी को रिकॉल (Vehicle recall) के लिए राजी करना ज्यादा आसान होगा. इस मसले में केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है.
सरकार इसके लिए एक पोर्टल तैयार करेगी. इस काम को परिवहन मंत्रालय करेगा. इस पोर्टल पर लोग कार रिकॉल की शिकायत कर सकते हैं.
मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट वाली तीन या चार पहिया वाहन की शिकायत अगर 100 लोग इस प्रस्तावित पोर्टल पर करते हैं तो कंपनी के लिए उस गाड़ी को रिकॉल (Vehicle recall) करना अनिवार्य हो जाएगा.
रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज मिनिस्ट्री (Ministry Of Road Transport And Highways) ने बुधवार को डिफेक्टिव गाड़ियों, यानी ऐसी गाड़ियां जिनमें कोई मैन्युफैक्चिंग खामी होती है, को रिकॉल (Vehicle recall) करना अनिवार्य बना दिया है. नए नियम इसी 1 अप्रैल से लागू हो जाएंगे.
केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के नोटिफाई किए गए सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट में वाहनों की टेस्टिंग और अनिवार्य रिकॉल (Vehicle recall) को लेकर कहा गया है कि इस तरह की डिफेक्ट वाली गाड़ियों को लेकर मैन्युफैक्चरर को भारी जुर्माना भी देना होगा.
मोटर व्हीकल संशोधन एक्ट, 2019 के तहत मैन्युफैक्चरिंग खामी वाली गाड़ी बेचने के लिए कंपनियों को 10 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है.
सियाम के आंकड़ो के मुताबिक, 2020 में ऑटो कंपनियों ने कुल 3,79,635 गाड़ियां रिकॉल (Vehicle recall) की थीं. इनमें अलग-अलग वर्षों में बनाए गए कार मॉडलों को डिफेक्ट के चलते कंपनियों ने खुद ही वापस मंगाया था.
एक्सपर्ट्स इसे एक बढ़िया कदम बता रहे हैं. लेकिन, वे मानते हैं कि रोड सेफ्टी के लिए न सिर्फ कंपनियों के लिए नियम कड़े होने चाहिए, बल्कि आम लोगों को भी सुरक्षित ड्राइविंग, सीट बेल्ट पहनने और सरकार के टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से ही हालात में असल सुधार आएगा.

ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट रोनोजॉय मुखर्जी कहते हैं, “ये एक पॉलिसी एक सही दिशा में उठाया गया कदम है. पहले कंपनियां छोटे-मोटे फॉल्ट्स को दरकिनार कर देती थीं. अब वे ऐसा नहीं कर पाएंगी.”
IISc, सस्टेनेबल ट्रांसपोर्टेशन लैब (IST lab) के संयोजक प्रो. आशीष वर्मा कहते हैं कि देश में जिस रफ्तार से हाइवेज तैयार हो रहे हैं, उस तरह से गाड़ियों की क्वॉलिटी में सुधार नहीं हुआ है.
प्रो. वर्मा कहते हैं कि व्हीकल रिकॉल (Vehicle recall) का मसला सीधे तौर पर रोड सेफ्टी से जुड़ा हुआ है. “कीमतों के लिहाज से भारत एक संवेदनशील मार्केट है और ऐसे में कंपनियां कॉस्ट को लेकर चिंतित रहती हैं. लेकिन, एयरबैग्स या क्रैश टेस्ट जैसे मानकों, जैसी चीजों को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए. दूसरी तरफ, लोगों को भी ड्राइविंग को लेकर आदतें बदलनी होंगी.”
वे कहते हैं कि हर दिन देश में 400 से ज्यादा मौतें रोड एक्सीडेंट्स की वजह से होती हैं, इससे समझा जा सकता है कि महामारी से भी ज्यादा हमारे लिए ये ज्यादा बड़ी समस्या है और इसे सुलझाना जरूरी है.
मुखर्जी कहते हैं कि अभी जो पेनाल्टी लगाई गई है वह पर्याप्त है, लेकिन आगे जाकर यह और बढ़ेगी.
ग्राहकों के लिए खासतौर पर इस पॉलिसी के आने से फायदा होगा. मुखर्जी कहते हैं, “पहले ग्राहक कहते थे कि गाड़ी में फॉल्ट है, लेकिन कंपनियां उसे अनसुना कर देती थीं. लेकिन, अब अगर पोर्टल पर 100 लोग इसकी शिकायत करेंगे तो कंपनी को रिकॉल (Vehicle recall) करना होगा.”
खासतौर पर इस कदम से ग्राहकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.
नया नियम उन वाहनों पर लागू होगा जो सात साल से कम पुराने है. इसमें वाहन या कल-पुर्जे अथवा सॉफ्टवेयर में उस गड़बड़ी को खामी मानी जाएगी, जिससे सड़क सुरक्षा को लेकर जोखिम है.

मंत्रालय (Ministry Of Road Transport And Highways) ने कहा है, ‘‘यह अधिसूचित किया गया है कि जहां किसी विशेष श्रेणी के वाहन के मामले में वाहन वापस मंगाये जाने (Vehicle recall) के पोर्टल पर कुल बिक्री के समक्ष एक न्यूनतम संख्या से ज्यादा शिकायतें आती हैं तो विनिर्माता पर उन वाहनों को ठीक करने के लिए अनिवार्य रूप से वापस मंगवाने का नियम लागू होगा.’’
अधिसूचना के अनुसार वाहनों की संख्या और उनके प्रकार के आधार पर जुर्माना 10 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये होगा. केंद्रीय मोटर वाहन कानून के तहत वाहनों के परीक्षण और अनिवार्य रूप से वापस मंगाये जाने के नियम में जुर्माने का प्रावधान है. यह जुर्माना तब लगता है जब विनिर्माता या आयातक स्वेच्छा से वाहन वापस मंगाने (Vehicle recall) में विफल रहते हैं. फिलहाल इसको लेकर कोई जुर्माना नहीं लग रहा था.
प्रो. वर्मा कहते हैं, “कारों में डिफेक्ट होने पर उन्हें रिकॉल (Vehicle recall) करने के लिए कड़े नियमों से फायदा होगा. दूसरी ओर, सरकार को सेफ्टी नियमों के पालन कराने में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर जोर देना होगा क्योंकि इसके बिना अपेक्षित परिणाम नहीं मिलेंगे.”
गाड़ियों को रिकॉल करने के लिहाज से अभी तक भारत में ज्यादा सख्त प्रावधान नहीं थे. लेकिन, अब ये नियम सख्त किए जा रहे हैं.
मुखर्जी कहते हैं, “हालांकि, पश्चिमी देशों के मुकाबले हमारे यहां अभी भी काफी नरमी है. अमरीका में गाड़ी में मामूली डिफॉल्ट पर ही रिकॉल (Vehicle recall) करने के प्रावधान हैं और तगड़े जुर्माने लगाए जाते हैं. वहां तो मॉडल बंद करने जैसे सख्त कदम भी उठाए जाते हैं. ऐसे ही नियम जापान और दूसरे देशों में भी हैं.”
परिवहन मंत्रालय के मुताबिक, अगर वाहन में नौ लोगों के बैठने की व्यवस्था है और भारी सामान की ढुलाई का वाहन है, तो ऐसे मामलों में 50,000 से अधिक वाहनों को अनिवार्य रूप से वापस मंगाने के आदेश की स्थिति में एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगेगा.
अधिसूचना के अनुसार, कार और एसयूवी (स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल) के मामले में एक लाख से अधिक खामी वाले वाहनों की बिक्री की जाती है तो एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगेगा. तिपहिया वाहनों के मामलों में ऐसे तीन लाख वाहनों की बिक्री पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगेगा.

Published - March 18, 2021, 07:20 IST