आपके आधार और पैन कार्ड का तो नहीं हो रहा ऐसा गलत इस्तेमाल?

आपका पैन और आधार कार्ड कितना सुरक्षित है? कहीं कोई इनका गलत इस्तेमाल तो नहीं कर रहा? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट.

आपके आधार और पैन कार्ड का तो नहीं हो रहा ऐसा गलत इस्तेमाल?

अगर हम कहें कि कोई आपका फर्जी आधार कार्ड बना सकता है, इसके जरिए आपको मिलने वाली सरकारी सुविधाओं को ले सकता है, तो आप मानेंगे? अगर हम कहें कि न केवल आधार बल्कि पैन कार्ड भी फर्जी बन सकता है और इससे पेंशनर्स की पेंशन को ठगा जा सकता है, तो आप मानेंगे? लेकिन ये खबर पूरी तरह सच है.

यूपी पुलिस क्राइम ब्रांच ने फर्जी आधार कार्ड और फर्जी पैन कार्ड बनाने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है. इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. ये इंटरस्टेट गैंग अभी तक पूरे देश से हजारों लोगों को ठग चुका था. ये लोग पेंशनर्स के खाते से पैसे निकाल रहे थे. इन्होंने एक सॉफ्टवेयर तैयार किया था जिसके जरिए ये लोग आधार कार्ड, पैन कार्ज और मतदाता पहचानपत्र भी फर्जी बनाते थे. इन फर्जी दस्तावेजों में आधार और पैन नंबर तो सही होता है लेकिन नाम और पता गलत होता है. इन दस्तावेजों के आधार पर ये अपराधी बैंक में खाता भी खुलवा लेते थे.

इन लोगों ने कई वेबसाइटें भी बना ली थीं जिनके जरिए फर्जी आधार और पैन बनाया जा सकता था. इन वेबसाइटों के जरिए भी ये लोग पैसा ले रहे थे. टेलीग्राम और वॉट्सऐप के जरिए भी ये लोग काम कर रहे थे. इनके पास एक बड़ा डेटाबेस है जिनमें बहुत लोगों के पैन और आधार नंबर मिले हैं. पुलिस ने पहले भी इसी मामले में 9 लोगों को गिरफ्तार किया था और जेल भेजा था. अब पुलिस ने तीन और लोगों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में अभी 25 और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है. इनके पास से जो सुबूत मिले हैं उनके आधार पर पुलिस आगे की जांच कर रही है.

ये तो केवल एक खबर थी, लेकिन अब आंकड़ा देखिए- साल 2021 में देशभर से साइबर अपराधों के 52 हजार 974 मामले सामने आए थे. 2020 में 50,035 मामले और 2019 में 44,735 मामले सामने आए थे. 2021 की NCRB की रिपोर्ट बताती है कि कुल दर्ज मामलों में से केवल एक तिहाई मामलों में ही पुलिस जांच पूरी हो पाई. एक और खास बात, साइबर अपराधों के कुल मामलों में से 60 फीसद से अधिक मामले धोखाधड़ी के थे और 5.4 प्रतिशत मामले जबरन उगाही के थे.

अब सवाल ये है कि कैसे कोई किसी का आधार और पैन चोरी कर सकता है और पीड़ित को पता तक नहीं चलता? इसको समझने के लिए मनी9 ने बात की साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट दिव्या तंवर से. उन्होंने बताया कि पैन और आधार जैसी निजी जानकारी को कभी सार्वजनिक तौर पर साझा न करें. अपराधियों के हाथ जब ये कार्ड लग जाते हैं तब नाम और फोटो बदलकर इनका गलत इस्तेमाल किया जाता है. पहला निशाना होता है सिम कार्ड हासिल करना. इसके बाद तो ओटीपी भी इनके पास पहुंच सकता है.

दिव्या तंवर बताती हैं कि अब सरकार ने लगातार सामने आने के बाद मास्क्ड आधार कार्ड की शुरुआत कर दी है. जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन के लिए अब आपको आधार देने की जरूरत नहीं है. ऐसे तमाम फैसले सरकार लगातार ले रही है लेकिन जनता को भी जागरुक होने की जरूरत है. बहुत से मामलों में देखने को आता है कि लोग सरकारी सुविधाओं को लेने के लिए जब ऑनलाइन प्रक्रिया में जाते हैं तब कहीं किसी थर्डपार्टी की मदद लेते हैं. पेंशनर्स भी अक्सर किसी बाहरी शख्स की मदद लेते हैं. यहां से आपके पैन और आधार के क्लोनिंग का, इनकी चोरी का खतरा शुरु हो जाता है.

कई मामलों में तो ये भी देखा गया कि किसी मृतक की पेंशन भी ठगी का शिकार बन रही थी. ऐसे मामलों में जब तक व्यक्ति साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराता है, पुलिस एक्शन लेती है, तब तक ठग अपनी पहचान को बदल चुका होता है.

अब बात करते हैं कि आप कैसे पता करें आपका आधार चोरी तो नहीं हो गया? इसका भी एक तरीका है, और वो ये कि आप आधार की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर ये जानकारी हासिल करें. यहां आपको आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री पता चलती है. यहां से ये भी पता चल जाता है कि आपके आधार का इस्तेमाल ओटीपी, बायमेट्रिक या डेमोग्राफिक, किस तरह से हुआ है.

बाकी तमाम जानकारों का यही मानना है कि इस तरह के मामलों में सावधानी और सतर्क रहना ही सबसे बेहतर बचाव है.

Published - July 14, 2023, 07:00 IST