गुरुवार को रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनिट्री पॉलिसी की घोषणा के दौरान कच्चे तेल का जिक्र किया. महंगाई के मुद्दे पर कच्चे तेल का जिक्र करते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों के दौरान कच्चे तेल का भाव बढ़ा है और भविष्य में कच्चे तेल के आउटलुक को लेकर मांग और सप्लाई की अनिश्चितता है. RBI गवर्नर के भाषण के बाद रिजर्व बैंक की तरफ से मॉनिट्री पॉलिसी को लेकर जो स्टेटमेंट जारी किया उसमें भी कच्चे तेल का जिक्र था. स्टेटमेंट में कहा गया कि उत्पादन में कटौती की वजह से कच्चा तेल महंगा हो गया है.
रिजर्व बैंक मॉनिट्री पॉलिसी की अपनी स्टेटमेंट में जब भी महंगाई और ग्रोथ का आकलन करता है, तो उसमें कच्चे तेल के किसी संभावित भाव को आधार माना जाता है. लेकिन इस बार की पॉलिसी में महंगाई और ग्रोथ के आकलन के लिए कच्चे तेल के किसी भाव का जिक्र नहीं किया है. ऐसा लग रहा है कि रिजर्व बैंक को भविष्य में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी की आशंका है. और रिजर्व बैंक की यह आशंका अगर सच साबित हुई तो महंगाई को लेकर उसकी चुनौती बढ़ जाएगी.
कच्चे तेल का भाव बढ़ने की आशंका के सच साबित होने की संभावना भाव बढ़ने के मौजूदा ट्रेंड को देखकर और मजबूत हो रही है. दुनियाभर में कच्चे तेल के दूसरे सबसे बड़े कंज्यूमर चीन की अर्थव्यवस्था सुस्ती में फंसती नजर आ रही है. चीन से अर्थव्यवस्था को लेकर जो आंकड़े आए हैं वे वहां पर आर्थिक सुस्ती के संकेत दे रहे हैं. यानी चीन में मांग घटने की पूरी आशंका है. लेकिन वहां पर मांग घटने की आशंका के बावजूद कच्चे तेल की कीमतों में तेजी देखी जा रही है. विदेशी बाजार में ब्रेंट क्रूड का भाव करीब 6 महीने के ऊपरी स्तर 88 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है.
बीते एक साल के दौरान जब वैश्विक बाजार में कच्चे तेल का भाव बढ़ा हुआ था, तो उस समय भारत को रूस से सस्ता तेल मिल रहा था. लेकिन अब रूस ने भी भारत को सस्ता तेल देने से इनकार कर दिया है. इस वजह से भारत को अपनी जरूरत पूरा करने के लिए बढ़े हुए भाव पर तेल खरीदना पड़ रहा है.
ऊपर से कच्चे तेल के बड़े निर्यातक देश सऊदी अरब ने तेल उत्पादन की कटौती को सितंबर तक बढ़ाने का फैसला किया है. आशंका यह भी जताई जा रही है कि सऊदी अरब तेल उत्पादन में कटौती को सितंबर के आगे भी बढ़ा सकता है. और सऊदी अरब के साथ रूस और ओपेक प्लस के दूसरे सहयोगी देश भी अपने यहां कच्चे तेल का उत्पादन कम कर सकते हैं. ऐसा हुआ तो कच्चे तेल की कीमतों और बढ़ जाएंगी. जिस वजह से देश में महंगाई भड़क सकती है और उसे कंट्रोल करने के लिए रिजर्व बैंक को सख्ती बढ़ानी पड़ेगी.