प्रधानमंत्री आवास योजना की नेशनल लेवल मॉनिट्रिंग में कई धांधलियां पाई गई हैं. कुछ राज्यों में पैसा मंजूर करने के लिए रिश्वत मांगी जाने की शिकायत मिली, तो कुछ राज्यों में मंजूर हुए पैसे से कटमनी मांगने की शिकायत पाई गई है. इस योजना के राष्ट्रीय स्तर की मॉनिटरिंग में कुल 3 चरणों में सर्वे हुआ है. जिसके तहत पहले चरण में 10 राज्यों के 4051 लाभार्थियों से बात हुई है. दूसरे चरण में 25 राज्यों के 5281 लाभार्थियों से बात की गई है और तीसरे चरण में 24 राज्यों के 5700 लाभार्थियों के बात की गई है. लाभार्थियों से बातचीत के आधार पर पाया गया है कि कई राज्यों में इस योजना में भ्रष्टाचार है.
नेशनल लेवल मॉनिट्रिंग के तहत 42 एजेंटों ने जनवरी 2022 में 10 राज्यों के 85 जिलों का दौरा किया. अन्य 45एजेंटों ने मई 2022 में 25 राज्यों के 111 जिलों का दौरा किया, वहीं 43 एजेंट दिसंबर 2022 में 24 राज्यों के 110 जिलों में गए. उन्होंने वहां पीएमएवाई-जी लाभार्थियों के अनुभव और इस योजना से उनके जीवनयापन में हुए प्रभाव का आंकलन किया.
चरण-I की रिपोर्ट में लाभार्थियों से किराया मांगने या भ्रष्टाचार के मामले पाए जाने की बात कही गई. इसमें बताया गया कि कैसे पश्चिम बंगाल के दो अलग-अलग मामलों में लाभार्थियों को कथित तौर पर पंचायत सदस्य को 10,000 रुपए और 2,000 रुपए की “कट मनी” का भुगतान करना पड़ा. इसके अलावा रिपोर्ट में उन मामलों का भी जिक्र किया गया जहां आर्थिक रूप से संपन्न परिवारों को भी पीएम आवास योजना में जोड़ा गया, जबकि असलियत में इस योजना का लाभ जरूरतमंदों को दिया जाना है. रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान के झालावाड़, अलवर और जयपुर जिलों में पक्के घर वाले लोगों को कथित तौर पर पीएमएवाई-जी घर स्वीकृत किए गए थे.
चरण-2 की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश के एक ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार मामले का जिक्र किया गया. इसमें कथित तौर पर सरपंच के पीएमएवाई-जी फंड को जबरन निकाले जाने की बात कही गई है. आरोप है कि पंचायत अधिकारी बिहार के मुजफ्फरनगर और कटिहार जिलों में लाभार्थियों से रिश्वत के पैसे इकट्ठा कर रहे थे. ऐसा ही मामला बिहार के मुजफ्फरपुर का भी सामने आया, जहां एक लाभार्थी से जबरन पैसे मांगे जा रहे थे. वहीं चरण-III की रिपोर्ट में राजस्थान के भरतपुर जिले के एक मामले का हवाला दिया गया है. यहां लाभार्थी ने शिकायत की कि उसके खाते में पहली किस्त जमा होने के बाद उसे ग्राम सचिव को पैसे देने को मजबूर किया गया था.