कोविड-19 महामारी के बाद ऑनलाइन शॉपिंग में तेजी आई है. ऐसे में भारत के ई-कॉमर्स बाजार में अच्छी ग्रोथ देखने को मिल सकती है. ई-कॉमर्स पर उपभोक्ता खर्च पर नजर रखने वाली बेन एंड कंपनी की ऑनलाइन रिपोर्ट के अनुसार भारतीय ई-कॉमर्स मार्केट 2023 में अनुमानित 57 से 60 अरब डॉलर था, जो बढ़कर 2028 तक करीब 160 अरब डॉलर से ज्यादा का हो सकता है. 2020 के बाद से, देश के ऑनलाइन खुदरा बाजार में हर साल लगातार 8-12 अरब डॉलर का विस्तार हुआ है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑनलाइन बाजार के एक साल पहले की तुलना में 2023 में इसके 17-20% बढ़ने का अनुमान है, हालांकि 2019-2022 में 25-30% की तुलना में धीमी गति देखने को मिली. महंगाई के चलते वस्तुओं की मांग को नुकसान पहुंचा है. महामारी के बाद से ऑनलाइन शॉपिंग में वृद्धि बनी हुई है. भारत में ई-रिटेल का क्रेज बढ़ता जा रहा है. हालांकि ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते चलन के बावजूद, भारत में कुल खुदरा खर्च में ई-कॉमर्स की हिस्सेदारी केवल 5-6% है. इसके विपरीत यह अमेरिका में खुदरा खर्च का 23-24% और चीन में 35% से अधिक है.
बढ़ती संभावनाओं का फायदा उठाने के लिए कई बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां भारत के ऑनलाइन शॉपिंग ईकोसिस्टम में निवेश बढ़ा रही हैं. इसमें अमेजन, वॉलमार्ट समर्थित फ्लिपकार्ट के साथ-साथ रिलायंस रिटेल के अजियो जैसे बड़े ऑनलाइन मार्केटप्लेस शामिल हैं. भारत ने 2019 और 2022 के बीच 12 करोड़ ऑनलाइन खरीदार जोड़े हैं, जबकि ई-रिटेल पर प्रति ग्राहक खर्च तीन वर्षों में दोगुना हो गया है. इसके अलावा, 2019 में साइन अप करने वाले खरीदारों ने इस अवधि के दौरान डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी भागीदारी, खरीदारी का दायरा और खर्च को दोगुना कर दिया है
छोटे शहरों में बढ़ी मांग
दिलचस्प बात यह है कि छोटे शहरों के ग्राहक ऑनलाइन शॉपिंग को अपनाने में आगे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 10 में से सात खरीदार टियर-2 और 3 शहरों से हैं. भारत में ऑनलाइन खरीदारी करने वालों में से एक तिहाई अब जेन जेड-अल्फा उपभोक्ता समूह से संबंधित हैं. वहीं लगभग एक तिहाई ऑनलाइन खरीदार निम्न-आय या निम्न-मध्यम-आय वर्ग से आते हैं. इसके साथ ही, मेच्योर खरीदारों का दायरा भी बढ़ रहा है. बेन एंड कंपनी के विश्लेषकों के अनुसार आने वाले दशक में नए खरीदारों के जुड़ने और प्रति खरीदार ऑनलाइन खर्च बढ़ने से ई-रिटेल विकास को गति मिलेगी.