खुले बाजार में चावल की सरकारी बिक्री को ठंडा रिस्पॉन्स मिलने के बाद सरकार ओपन मार्केट सेल स्कीम यानी ओएमएसएस के तहत बेचे जाने वाले चावल की कीमत को कम कर सकती है. बता दें कि ओपन मार्केट सेल स्कीम यानी OMSS के तहत सरकार चावल की बिक्री के लिए लगातार ई-नीलामी कर रही है लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकारी अधिकारियों का कहना है कि ओएमएसएस के तहत बिक्री किए जाने वाले चावल की कीमत को कम करने के लिए नीतियों में जो भी बदलाव की जरूरत होगी, उस पर विचार किया जाएगा.
बीते एक पखवाड़े में सिर्फ 460 टन चावल की बिक्री
बता दें कि पिछले एक पखवाड़े में आयोजित की गई पहली दो साप्ताहिक ई-नीलामी में प्रस्तावित 0.4 मिलिटन टन की तुलना में सिर्फ 460 टन चावल की बिक्री की जा सकी है. चावल बिक्री के लिए अगली नीलामी बुधवार को आयोजित की जाएगी. चावल कारोबारियों का कहना है कि FCI के द्वारा ई-नीलामी के लिए तय किया गया 31 रुपए प्रति किलोग्राम का बेंचमार्क प्राइस बाजार में उपलब्ध समान किस्म के चावल की कीमतों से ज्यादा है और यही वजह है कि सरकारी चावल का उठाव कारोबारियों की ओर से कम देखने को मिल रहा है. बता दें कि चावल, आटा और गेहूं की रिटेल कीमतों पर लगाम लगाने के लिए एफसीआई हर हफ्ते ई-ऑक्शन कर रहा है.
बाजार में मौजूद चावल के भाव से ज्यादा कीमत
कारोबारियों का कहना है कि सरकार के द्वारा बिक्री के लिए जो भाव तय किया गया है, कच्चा सफेद चावल उस भाव पर मौजूदा समय में एक्सपोर्ट के लिए गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर उपलब्ध है. इसके अलावा एफसीआई के पास जो चावल होता है वह करीब 25 फीसदी टूटा हुआ होता है जिसकी वजह से भी व्यापारी खरीदारी से पीछे हट रहे हैं. गौरतलब है कि एक ओर जहां सरकारी चावल की बिक्री नहीं हो पा रही है तो वहीं दूसरी ओर खुले बाजार में चावल की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है. खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अनाज की महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए एफसीआई अपने स्टॉक से खाद्यान्न की बिक्री जारी रखेगा. मौजूदा समय में एफसीआई के पास 25.23 मीट्रिक टन चावल का स्टॉक है, इसमें मिलर्स से मिलने वाला 14.7 मीट्रिक टन चावल शामिल नहीं किया गया है.
निर्यात पर अंकुश की संभावना से LC की मांग बढ़ी
उधर, बाजार में इस तरह की खबरें भी हैं कि सरकार चावल के निर्यात पर अंकुश लगा सकती है. इसकी वजह से निर्यात के सौदों ने जोर पकड़ लिया है और सौदों के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट यानी LC की मांग बढ़ गई है ताकि निर्यात पर अंकुश लगने पर लेटर ऑफ क्रेडिट के जरिए चावल एक्सपोर्ट किया जा सके. बता दें कि LC हासिल करने पर कंपनियां एक्सपोर्ट पर रोक लगने के बाद भी चावल का एक्सपोर्ट कर सकेंगी. पिछले साल सितंबर के दौरान ब्रोकेन राइस के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगने के बाद एक्सपोर्टर्स की ओर से LC की मांग बढ़ गई थी. एक्सपोर्ट पर अंकुश और अतिरिक्त एलसी की चिंता से जुलाई में भारत से कुल चावल का एक्सपोर्ट बढ़ सकता है.