महंगा होगा आटा, 6 महीने की ऊंचाई पर गेहूं का भाव

गेहूं का दाम बढ़ने की वजह से कंपनियों की लागत में इजाफा हो जाएगा

महंगा होगा आटा, 6 महीने की ऊंचाई पर गेहूं का भाव

आटा, मैदा और ब्रेड के महंगा होने की आशंका बढ़ गई है. दरअसल, त्यौहारी सीजन को देखते हुए मांग में बढ़ोतरी और सीमित सप्लाई की वजह से घरेलू बाजार में गेहूं का भाव 6 महीने की ऊंचाई पर पहुंच गया है. राजधानी दिल्ली में गेहूं का भाव 2,535 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गया है. गेहूं का दाम बढ़ने की वजह से कंपनियों की लागत में इजाफा हो जाएगा, जिससे आटा, मैदा और ब्रेड के महंगा होने की आशंका बढ़ गई है. अगर गेहूं का दाम ऐसे ही बढ़ता रहा तो सरकार प्रमुख राज्यों में होने वाले चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले सप्लाई को बढ़ाने और दाम को नियंत्रित करने के लिए इसके आयात पर शुल्क को खत्म करने के लिए कदम उठा सकती है. गेहूं की बढ़ती कीमतें खाद्य महंगाई में इजाफा कर सकती है. साथ ही सरकार और सेंट्रल बैंक की महंगाई को नियंत्रण में लाने के प्रयासों को भी झटका लग सकता है.

FCI ने इंपोर्ट ड्यूटी हटाने की सिफारिश की
देश में गेहूं की सप्लाई में कमी की आशंका को देखते हुए भारतीय खाद्य निगम यानी FCI ने सरकार से गेहूं के आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी को पूरी तरह से हटाने की सिफारिश की है. बता दें कि पिछले हफ्ते शुक्रवार को ही खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने भी कहा था कि सरकार गेहूं के इंपोर्ट पर ड्यूटी में कटौती या फिर उसे पूरी तरह से खत्म करने पर विचार कर रही है. देश में गेहूं इंपोर्ट पर फिलहाल 40 फीसद इंपोर्ट ड्यूटी है और 4 फीसद सेस लागू है यानी गेहूं के इंपोर्ट पर कुल 44 फीसद टैक्स है. 1 अगस्त 2023 तक सेंट्रल पूल में गेहूं का स्टॉक करीब 283 लाख टन है, जबकि पिछले साल इस अवधि में यह आंकड़ा 266 लाख टन था.

मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में मंगलवार को गेहूं का भाव 1.5 फीसद बढ़कर 25,446 रुपए (307.33 डॉलर) प्रति मीट्रिक टन दर्ज किया गया जो कि 10 फरवरी के बाद सबसे ज्यादा है. बीते 4 महीने में गेहूं का भाव करीब 18 फीसद बढ़ चुका है. कारोबारियों का कहना है कि त्यौहारी सीजन के दौरान गेहूं की संभावित कमी से बचने के लिए सरकार को अपने गोदामों से स्टॉक को खुले बाजार में जारी करना चाहिए.

बाजार में सप्लाई कमजोर
राजधानी दिल्ली के एक कारोबारी का कहना है कि सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में किसानों ने गेहूं की सप्लाई को लगभग रोक दिया है. वहीं आटा मिलों को बाजार में पर्याप्त सप्लाई नहीं होने की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
गौरतलब है कि देश में इस साल 11.27 करोड़ टन गेहूं पैदा होने का अनुमान है और उसमें से 2.62 करोड़ टन गेहूं सरकार ने खरीदा है. करीब 1 करोड़ टन मिलों और स्टॉकिस्टों के पास है और किसानों को अपनी जरूरत के लिए 3-3.5 करोड़ टन गेहूं रखना पड़ता है. इसके बाद जो करीब 4-5 करोड़ टन गेहूं बच रहा है, वही काफी समय से बाजार में नहीं आया है. सरकार इन्हीं सब हालात को देखते हुए गेहूं पर स्टॉक लिमिट जैसे कदम भी आने वाले समय में उठा सकती है. गौरतलब भारत में सालाना तकरीबन 10.8 करोड़ मीट्रिक टन गेहूं की खपत होती है.

Published - August 8, 2023, 05:39 IST