पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार के बासमती चावल के निर्यात पर लगाई शर्त किसानों के हितों के खिलाफ है और उन्होंने इसे तत्काल वापस लिये जाने की मांग की. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित ‘किसान मेले’ के दौरान एक सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने अफसोस जताया ‘‘यह अतार्किक निर्णय किसानों के साथ-साथ व्यापारियों की आर्थिक स्थिति को भी काफी नुकसान पहुंचाएगा.’’
केंद्र सरकार ने बासमती का न्यूनतम निर्यात मूल्य 1,200 डॉलर प्रति टन तय किया है ‘‘जिससे फसल की घरेलू कीमत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.’’एक सरकारी बयान के अनुसार, मान ने कहा कि केंद्र सरकार को राज्य के किसानों के हितों की रक्षा के लिए इन सभी शर्तों को हटाना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के मेहनती किसान पहले से ही बीज समेत अन्य कच्चे माल की बढ़ती लागत और ‘कम एमएसपी’ (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के कारण चौराहे पर खड़े हैं.
उन्होंने कहा कि राज्य देश में सबसे ज्यादा बासमती चावल पैदा करता है और केंद्र के इस फैसले से राज्य के किसानों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. मान ने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार किसानों को मूंग, बासमती और अन्य वैकल्पिक फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करके फसल विविधीकरण के लिए ठोस प्रयास कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ केंद्र सरकार के ऐसे फैसले इसे बड़ा झटका दे रहे हैं.
मान ने कहा कि केंद्र का कदम किसान और राज्य विरोधी है और राज्य सरकार इस फैसले का पुरजोर विरोध करेगी. उन्होंने कहा कि इन प्रतिबंधों के मद्देनजर राज्य सरकार केरल, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों को बासमती की फसल बेचने पर विचार कर रही है. मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर ग्रामीण विकास निधि (आरडीएफ) को रोकने के लिए भी केंद्र की आलोचना की. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह जानकर आश्चर्य हो रहा है कि बड़ी संख्या में युवा किसान मेलों में अपनी गहरी रुचि दिखा रहे हैं। किसान मेले में पहले दिन एक लाख से अधिक किसानों ने भाग लिया है. मान ने कहा कि कृषि में प्रौद्योगिकी आने से किसानों और कृषि की किस्मत बदलने में मदद मिलेगी.