इनदिनों बैंक फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़े हैं. बीते 10 वर्षों में बैंकों में 5.3 लाख करोड़ रुपए के धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं. मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बताया कि निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों के बैंकों ने 2013-14 से 2022-23 के बीच कुल 4,62,733 धोखाधड़ी की सूचना दी.
अंग्रेजी वेबसाइट मनीकंट्रोल की ओर से दायर आरटीआई के जवाब में पता चला कि महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा धोखाधड़ी की सूचना मिली. इसके बाद दिल्ली, हरियाणा, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा बैंक फ्रॉड हुए. पिछले 10 वित्तीय वर्षों में कर्नाटक, गुजरात, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में करीब 8 से 12 हजार फ्रॉड के मामले सामने आए हैं. इस बारे में केयर रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक, बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा के संजय अग्रवाल ने कहा कि बैंक धोखाधड़ी में वृद्धि देखी गई है, लेकिन बैंक क्रेडिट जोखिम मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
इंटरनेट बैंकिंग से ज्यादा बढ़ी धोखाधड़ी
केंद्रीय बैंक की कुछ हालिया वार्षिक रिपोर्टों के विश्लेषण से पता चला है कि ज्यादातर धोखाधड़ी कार्ड और डिजिटल या इंटरनेट बैंकिंग के जरिए हुई है. FY23 में दर्ज किए गए कुल 13,530 मामलों में से 6,659 मामले कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग के जरिए हुए. वहीं एडवांस राशि से जुड़े फ्रॉड की संख्या भी 4,109 से ज्यादा थी. एक साल पहले वित्त वर्ष 2022 में कुल 9,097 धोखाधड़ी मामलों में से एडवांस को लेकर फ्रॉड के 3,833 मामले सामने आए. वहीं कार्ड और इंटरनेट के माध्यम से धोखाधड़ी के 3,596 माले सामने आए.
केवाईसी के नाम पर हो रहे फ्रॉड
आरबीआई ने 2 फरवरी को अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) मानदंडों को अपडेट करने की आड़ में हो रही धोखाधड़ी को लेकर ग्राहकों को सतर्क किया था. आरबीआई ने कहा कि ऐसे मामलों में कार्यप्रणाली में आमतौर पर ग्राहकों को फोन कॉल, एसएमएस या ईमेल सहित अनचाहे मैसेज मिलते हैं, जिसके माध्यम से उन्हें व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा करने के लिए कहा जाता है, जिसमें बाद में हेरफेर किया जाता है. विशेषज्ञों ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल बैंकिंग और भुगतान सेवाओं के उपयोग में वृद्धि के कारण बैंक धोखाधड़ी में वृद्धि देखी गई है.