अनियमित बारिश से धान और आलू की खेती प्रभावित होने की वजह से महीनेभर में चावल और आलू की कीमतों में 12 फीसद तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. सरकार के द्वारा गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद दक्षिण भारत से बढ़ती मांग की वजह से कीमतों में 15 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. बता दें कि कर्नाटक में कम बारिश की वजह से खरीफ चावल का उत्पादन कम होने का अनुमान है.
दूसरी ओर अक्टूबर में होने वाली अप्रत्याशित बारिश की वजह से आलू की नई फसल की बुआई पर असर पड़ा है. बुआई प्रभावित होने की वजह से नई फसल की आवक में देरी हो सकती है. आवक में देरी की वजह से आलू के पुराने स्टॉक की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका है. बता दें कि दक्षिणी राज्य तेजी से उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से चावल की खरीदारी कर रहे हैं, जिससे पूरे देश में चावल की कीमतों में इजाफा हो रहा है. गौरतलब है कि सरकार ने घरेलू बाजार में पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित करने और कीमतों पर लगाम लगाने के लिए 20 जुलाई से गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
मध्य पूर्व से मजबूत निर्यात मांग की वजह से भी बासमती चावल की कीमतों में 10 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. जानकारों का कहना है कि दक्षिण भारत में बारिश कमजोर रहने की वजह से सप्लाई में कमी के कारण गैर बासमती चावल की कीमतों में इजाफा दर्ज किया गया है. उनका कहना है कि अगले साल अप्रैल तक चावल की कीमतों में तेजी जारी रहने की संभावना है.
कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान के मुताबिक फसल वर्ष 2023-24 में चावल का उत्पादन 1,063.13 लाख टन होने का अनुमान है, जो कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 3.7 फीसद कम है. खास बात यह है कि धान की बुआई बढ़ने के बावजूद चावल उत्पादन में गिरावट का अनुमान लगाया गया है. कृषि मंत्रालय के मुताबिक 2023 के खरीफ सीजन में 41.1 मिलियन हेक्टेयर में धान की बुआई हुई थी, जबकि 2022 में खरीफ धान का रकबा 40.42 मिलियन हेक्टेयर दर्ज किया गया था.