MSP के नीचे क्यों लुढ़क गया सरसों का भाव?

आंकड़ों के मुताबिक 2022-23 में 12.64 मिलियन टन सरसों का उत्पादन हुआ था और सरकार ने इस साल के लिए 13.1 मिलियन टन के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है

MSP के नीचे क्यों लुढ़क गया सरसों का भाव?

उत्पादन में बढ़ोतरी और नई फसल की आवक शुरू होने की वजह से सरसों का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य के नीचे लुढ़क गया है. आंकड़ों के मुताबिक सरसों का उत्पादन इस साल 14 मिलियन टन होने का अनुमान है. मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक शुरू हो चुकी है. कारोबारी सरसों तेल की खपत और दाम में कमजोरी के लिए सस्ते खाद्य तेल आयात को जिम्मेदार मान रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक मौजूदा फसल को देखते हुए यह संकेत मिल रहा है कि इस साल रिकॉर्ड सरसों का उत्पादन हो सकता है.

आंकड़ों के मुताबिक 2022-23 में 12.64 मिलियन टन सरसों का उत्पादन हुआ था और सरकार ने इस साल के लिए 13.1 मिलियन टन के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है. चालू रबी सीजन में सरसों की बुआई 100.44 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल 97.97 लाख हेक्टेयर में खेती हुई थी. उत्तर प्रदेश में सरसों के रकबे में 32 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और वहां रकबा बढ़कर 17.6 लाख हेक्टेयर हो गया है. हालांकि प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में बुआई में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई है.

विशेषज्ञों का कहना है कि फसल की मौजूदा स्थितियों के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि सरसों की फसल का आकार 14 मिलियन टन से कम नहीं होगा. उनका कहना है कि विदर्भ, मराठवाड़ा, झारखंड, असम, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड के इलाके में सरसों की बढ़े रकबे की वजह से उत्पादन में बढ़ोतरी हो सकती है. 18 फरवरी से 25 फरवरी के दौरान देशभर की मंडियों में 1 लाख टन सरसों की आवक दर्ज की गई थी. इस दौरान राजस्थान में 40 हजार टन, मध्य प्रदेश में 23 हजार टन और गुजरात में 19 हजार टन सरसों की आवक हुई थी.

1 फरवरी से 25 फरवरी के दौरान राजस्थान में सरसों का औसत मंडी भाव 4,820 रुपये प्रति क्विंटल, मध्य प्रदेश में 4,520 रुपये प्रति क्विंटल, गुजरात में 4,858 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया था, जो कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5,650 रुपये प्रति क्विंटल से कम था.

Published - February 27, 2024, 05:03 IST