गेहूं की नई फसल की आवक से ठीक पहले सरकार के गोदामों में गेहूं का स्टॉक 16 साल के निचले स्तर तक चला गया है. रिपोर्ट के मुताबिक FCI के गोदामों में कुल गेहूं स्टॉक घटकर 7.73 मिलियन टन रहा है और अप्रैल की शुरुआत तक यह कम होकर बफर के लिए जरूरी स्टॉक तक आ सकता है. बफर नियमों के मुताबिक पहली अप्रैल तक सरकारी गोदामों में 7.46 मिलियन टन गेहूं का स्टॉक होना जरूरी है. गौरतलब है कि आखिरी बार गेहूं का स्टॉक 2008 में मौजूदा स्तर से नीचे था और उस साल अप्रैल में स्टॉक घटकर 5.8 मिलियन टन रह गया था. इस बीच कुछ राज्यों में नई फसल के गेहूं की आवक भी शुरू हो गई है और सरकारी एजेंसियों ने वहां पर खरीद भी शुरू कर दी है.
माना जा रहा है कि इस बार गेहूं की आवक के पीक सीजन में सरकारी एजेंसियों की खरीद को बढ़ावा देने के लिए तरजीह दी जा सकती है और निजी एजेंसियों को थोड़ा रुककर खरीद करने के लिए कहा जा सकता है. आधिकारिक तौर पर गेहूं का खरीद सीजन पहली अप्रैल से शुरू हो रहा है. 2021-22 सीजन (अप्रैल-जून) में 43.3 मिलियन टन की रिकॉर्ड खरीद के बाद 2022-23 सीजन में सरकारी एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर गेहूं की खरीद 18.8 मिलियन टन के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है. हालांकि रबी विपणन सीजन 2023-24 में यह करीब 40 फीसद बढ़कर 26.2 मिलियन टन हो गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्पादन में कमी और घरेलू मांग मजबूत होने से भाव एमएसपी के ऊपर पहुंच गया है, जिससे बीते दो सीजन में सरकारी एजेंसियों द्वारा एमएसपी के तहत गेहूं की खरीद में कमी दर्ज की गई है.
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में सरकार ने गेहूं की खुले बाजार में बिक्री बंद कर दी थी, जो कि पिछले साल जून से साप्ताहिक ई-नीलामी के जरिए जारी थी. सरकार ने इस अवधि में थोक खरीदारों को 9.4 मिलियन टन की रिकॉर्ड बिक्री की थी. गेहूं की खुदरा कीमतों को कम करने के मकसद से सरकार ने यह कदम उठाया था. इस बीच 2024-25 रबी विपणन सीजन (अप्रैल-जून) के लिए एजेंसियों द्वारा गेहूं खरीद अभियान राजस्थान और मध्य प्रदेश में शुरू हो गया है इन दोनों राज्यों में किसानों से अब तक 24,338 टन गेहूं की खरीद हो चुकी है.