गेहूं के उत्पादन अनुमान में कटौती, सरकार के पास पिछली फसल का औसत से कम स्टॉक और अगले सीजन के लिए सरकार की तरफ से गेहूं के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी का असर इसकी कीमतों पर देखा जा रहा है. थोक बाजार में गेहूं का भाव 2,900 रुपए प्रति क्विंटल के पार पहुंच गया है जो जनवरी के बाद सबसे ज्यादा भाव है. गुरुवार को दिल्ली में गेहूं की कीमतें 2,902 रुपए प्रति क्विंटल के ऊपरी स्तर तक गईं. अक्टूबर में अबतक गेहूं का भाव करीब 12 फीसद तक बढ़ गया है, अक्टूबर की शुरुआत में दिल्ली में भाव 2,598 रुपए प्रति क्विंटल था. गेहूं की कीमतों में आई इस तेजी की वजह से आने वाले दिनों में आटा, मैदा, सूजी के साथ ब्रेड और बिस्कुट के दाम बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.
सरकार के पास कम स्टॉक
सरकार के गोदामों में गेहूं का स्टॉक औसत के मुकाबले कम है. ऐसे में गेहूं का भाव ज्यादा बढ़ा तो सरकार भी खुले बाजार में अपने स्टॉक से ज्यादा गेहूं नहीं बेच पाएगी. भारतीय खाद्य निगम के आंकड़े बताते हैं कि 1 अक्टूबर तक केंद्रीय पूल में गेहूं का कुल स्टॉक करीब 240 लाख टन है. यह स्टॉक पिछले साल अक्टूबर की शुरुआत के स्टॉक से तो ज्यादा है, लेकिन औसत के मुकाबले काफी कम है. इससे पहले 2021 में अक्टूबर की शुरुआत में केंद्रीय पूल में 469 लाख टन, 2020 में 437 लाख टन, 2019 में 393 लाख टन और 2018 में 356 लाख टन स्टॉक हुआ करता था.
उत्पादन अनुमान में कटौती
सरकार ने हाल ही में गेहूं के उत्पादन अनुमान में करीब 22 लाख टन की कटौती की है, इस वजह से भी गेहूं की कीमतों में तेजी देखी जा रही है. पहले सरकार ने फसल वर्ष 2022-23 के दौरान देश में 11.27 करोड़ गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया था. लेकिन अब उत्पादन अनुमान को घटाकर 11.05 करोड़ टन कर दिया गया है. सरकार ने इसके अलावा अगले रबी मार्केटिंग वर्ष 2024-25 के लिए गेहूं के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की है, उसका भी असर गेहूं के भाव पर पड़ा है. हालांकि सरकार की तरफ से घोषित समर्थन मूल्य और बाजार भाव में बहुत ज्यादा अंतर है. सरकार ने गेहूं के लिए 2275 रुपए प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य घोषित किया हुआ है.
क्या आयात की आएगी नौबत?
गेहूं की कीमतों में यह बढ़ोतरी ऐसे समय पर हुई है जब त्योहारी सीजन चल रहा है और 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के साथ अगले साल लोकसभा चुनाव भी है. गेहूं की महंगाई अगर ज्यादा बढ़ी तो इसकी वजह से आटा और मैदा जैसी चीजों के दाम बढ़ जाएंगे और मुद्दा चुनावी हो सकता है. ऐसे में कीमतें ज्यादा बढ़ी तो सरकार की तरफ से गेहूं के आयात की शर्तों में ढील की संभावना बढ़ जाएगी. फिलहाल देश में गेहूं के आयात पर 40 फीसद ड्यूटी लागू है. हो सकता है कि सरकार आयात शुल्क में कटौती करे.