चीनी मिलें (Sugar Mills) शीरे से प्राप्त पोटेशियम इस साल उर्वरक कंपनियों को 4,263 रुपये प्रति टन की दर से बेचेंगी. खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने यह जानकारी साझा की है. इसे पीडीएम भी कहा जाता है. उन्होंने कहा कि खाद्य और उर्वरक मंत्रालयों ने पारस्पर सहमति के आधार पर इस दर को तय किया था. पीडीएम, शीरा-आधारित भट्टियों में राख से प्राप्त पोटेशियम युक्त उर्वरक, चीनी-आधारित एथनॉल उद्योग का उप-उत्पाद है. मीडिया को जानकारी देते हुए सचिव ने कहा कि भारत पोटाश के लिए आयात पर निर्भर है. इससे देश में पोटाश की उपलब्धता बढ़ेगी और यह सभी अंशधारकों के लिए फायदे का सौदा है.
उर्वरक कंपनियां और चीनी मिलें एक समझौते पर पहुंची
उर्वरक कंपनियों (Fertilizer Companies) और चीनी मिलों के बीच सहमति की कमी के कारण यह निर्णय लंबे समय से लंबित था. उन्होंने कहा कि आख़िरकार, वे कीमत पर एक समझौते पर आ गए हैं. सचिव ने आगे कहा कि पीडीएम निर्माता उर्वरक विभाग की पोषक तत्व-आधारित सब्सिडी योजना (एनबीएस) के तहत 345 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी का दावा भी कर सकते हैं. अब, चीनी मिलें और उर्वरक कंपनियां दोनों पीडीएम पर दीर्घकालिक बिक्री/खरीद समझौते करने के तौर-तरीकों पर चर्चा कर रही हैं.
घरेलू स्तर पर 5 लाख टन पोटाश की हो रही है बिक्री
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि वर्तमान में एथेनॉल भट्टियों से उत्पन्न लगभग पांच लाख टन पोटाश राख घरेलू स्तर पर बेची जा रही है, जबकि इस राख के उत्पादन की क्षमता 10-12 लाख टन तक पहुंच सकती है. पीडीएम का विनिर्माण और बिक्री चीनी मिलों के लिए अपने नकदी प्रवाह को बढ़ाने और किसानों को समय पर भुगतान करने के लिए एक और राजस्व स्रोत बनने जा रही है. इसमें कहा गया है कि यह उर्वरक क्षेत्र में आयात निर्भरता को कम करने की केंद्र सरकार की एक और पहल है.