दालों की महंगाई से फिलहाल आम आदमी को राहत मिलती हुई दिखाई नहीं दे रही है. राजधानी दिल्ली में चने का भाव सात हजार रुपए प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर गया है. ऐसे में आम लोगों को बेसन और उससे बनने वाली नमकीन की महंगाई का सामना करना पड़ सकता है. आवक घटने और अनुमान की तुलना में उत्पादन कमजोर रहने की वजह से करीब दो साल साल के बाद देश की राजधानी दिल्ली में चने का भाव सात हजार रुपए प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर गया है.
जानकारों का कहना है कि गुरुवार को दिल्ली में मध्य प्रदेश के चने में 7,025-7,050 रुपए प्रति क्विंटल के दायरे में कारोबार दर्ज किया गया. वहीं राजस्थान के चने में 7,075-7,100 रुपए प्रति क्विंटल के दायरे में कारोबार हुआ. चार मई को सरकार ने चने के इंपोर्ट पर लगने वाली ड्यूटी को हटाकर शून्य कर दिया था. उस समय दिल्ली में चने की राजस्थान वैरायटी का भाव 6,350 रुपए प्रति क्विंटल और मध्य प्रदेश वैरायटी का भाव 6,325 रुपए प्रति क्विंटल के आस-पास कारोबार कर रहा था. उस समय से अभी तक कीमतों में दस फीसद से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने की कोशिश
गौरतलब है कि सरकार ने कीमतों पर लगाम लगाने के मकसद से दिसंबर 2023 की शुरुआत में मार्च 2024 तक पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी थी और इसको जून 2024 तक बढ़ा दिया था. इसके अलावा घरेलू बाजार में सप्लाई को बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए चने के इंपोर्ट पर लगने वाले शुल्क को भी हटा दिया है. कारोबारियों का कहना है कि चने की पूरी मांग को पीली मटर के जरिए पूरा नहीं किया जा सकता है. दूसरी ओर सरकार ने चना समेत अन्य दालों की बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए आयात प्रतिबंधों में ढील दी है.
उम्मीद से कम फसल, कमजोर आवक, मांग में बढ़ोतरी और किसानों के अपनी उपज को रोके रखने की संभावना जैसे कारणों की वजह से कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. जानकारों का कहना है कि बाजार में चने की कमी है और कारोबारियों के पास भी चने का ज्यादा स्टॉक नहीं है. दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक पिछले साल की तुलना में 2023-24 के दौरान चने का उत्पादन घटकर 121.61 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि 2022-23 में चने का उत्पादन 122.67 लाख टन दर्ज किया गया था. हालांकि इंडस्ट्री का मानना है कि फसल का आकार सरकार के अनुमान से काफी कम है.