सरकार इस साल 1,00,000 टन का बफर स्टॉक बनाने के लिए प्याज के रेडिएशन प्रोसेसिंग में बढ़ोतरी करने की योजना बना रही है. इसका मकसद रणनीतिक तौर पर प्याज की कमी और इसकी कीमतों में बढ़ोतरी को रोकना है. सरकारी अनुमान के मुताबिक, प्याज के प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में कम पैदावार की वजह से 2023-24 में उत्पादन 16 फीसद घटकर 2.547 करोड़ टन होने की उम्मीद है.
प्याज की कीमतों की अस्थिरता पर लगेगा अंकुश
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की सचिव निधि खरे ने कहा कि जमाखोरी को रोकने और सप्लाई में रुकावट की वजह से अक्सर कीमतों में होने वाली अस्थिरता पर रोक लगाने के लिए सरकार प्याज की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर कंज्यूमर अफेयर्स का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है.
बढे़गा प्याज का भंडारण
खरे ने कहा कि हम उपभोक्ता क्षेत्रों के आसपास 50 रेडिएशन सेंटर की पहचान कर रहे हैं. अगर हम सफल रहे, तो हम इस साल 1 लाख टन तक रेडिएशन प्रोसेस्ड प्याज को स्टोर कर सकेंगे. मंत्रालय ने राज्य एजेंसियों NAFED और NCCF से, जो इस साल बफर स्टॉक बनाने के लिए 5,00,000 टन प्याज खरीद रही हैं, सोनीपत, ठाणे, नासिक और मुंबई जैसे प्रमुख खपत केंद्रों के आसपास विकिरण सुविधाओं का पता लगाने के लिए कहा है.
लगा था प्रतिबंध
पिछले साल महाराष्ट्र के बढ़ते क्षेत्र के पास 1,200 टन के छोटे पैमाने पर विकिरण प्रसंस्करण (Radiation Processing) की कोशिश की गई थी. खरे ने कहा कि बफर स्टॉक के जल्दी ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा के लिए, मंत्रालय प्रमुख रेलवे केंद्रों पर नियंत्रित वातावरण भंडारण सुविधाएं स्थापित करने पर भी विचार कर रहा है. इससे पहले सरकार ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और जमाखोरी और सूखे की वजह से कमी आपूर्ति की सुरक्षा के लिए फसल का एक बड़ा हिस्सा जमा कर लिया था.