अगले जून तक सस्ता नहीं होगा चावल!

विश्लेषकों और निर्यातकों के मुताबिक अगले साल चुनावों तक चावल के निर्यात पर अंकुश लगा रह सकता है

अगले जून तक सस्ता नहीं होगा चावल!

2024 के मध्य तक वैश्विक बाजार में चावल की कीमतों में मजबूती बनी रहने की संभावना है. विश्लेषकों और निर्यातकों के मुताबिक अगले साल चुनावों तक चावल के निर्यात पर अंकुश लगा रह सकता है. इसके अलावा अलनीनो के खतरे की वजह से चावल की कीमतों को सपोर्ट मिलने की उम्मीद है. फिच सॉल्यूशंस की यूनिट बीएमआई रिसर्च एजेंसी का मानना है कि भारत के चावल के निर्यात पर लगा अंकुश अगले साल अप्रैल-मई के आस-पास चुनावों तक लगा रह सकता है.

खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के मुताबिक 2024 (जनवरी-दिसंबर) में चावल का अंतर्राष्ट्रीय कारोबार 52.8 मिलियन टन होने की संभावना है, जो कि 2023 के निचले स्तर के करीब है. बीएमआई का अनुमान है कि 2023-24 में ग्लोबल राइस सेक्टर में लगातार तीसरी बार घाटा होगा. हालांकि यह घाटा 2022-23 की अनुमानित कमी के आधे से भी कम है. बहरहाल अनुमानित खपत के अनुपात में वैश्विक स्टॉक 30 फीसद से ज्यादा बना रहेगा. बीएमआई के मुताबिक उसने 2023 के लिए चावल के अपने औसत मूल्य पूर्वानुमान को 16.80 डॉलर प्रति सीडब्ल्यूटी पर अपरिवर्तित रखा है.

बीएमआई ने 2024 में सीबीओटी पर सूचीबद्ध दूसरे महीने के मोटे चावल वायदा के कीमत के पूर्वानुमान को 15.50 डॉलर प्रति सीडब्ल्यूटी से बढ़ाकर 15.95 डॉलर प्रति सीडब्ल्यूटी कर दिया है. भारत में विश्लेषकों और व्यापारियों का कहना है कि सरकार के द्वारा चावल के निर्यात पर अंकुश की वजह से वैश्विक बाजार में चावल की कीमतों में इजाफा होगा.

दूसरी ओर थाईलैंड की कैबिनेट ने किसानों के लिए कम से कम पांच महीने तक अपना धान को रोककर रखने के लिए 55 बिलियन भाट (13,030 करोड़ रुपए) की योजना को मंजूरी दे दी है. धान खरीदने के लिए थाईलैंड की सहकारी समितियों को ऋण स्वीकृत किया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अपनी उपज वापस रखने वाले किसानों को भंडारण के लिए 12,000 भाट (28,450 रुपए) और अतिरिक्त 1,500 भाट (3,550 रुपए) का भुगतान किया जाएगा.

Published - December 1, 2023, 01:43 IST