सप्लाई में कमी से ग्लोबल मार्केट में बढ़ सकता है चावल का दाम

वैश्विक कैरीओवर स्टॉक में 5-8 मिलियन टन की गिरावट का अनुमान है और जिससे चावल की कीमतों में अस्थिरता की आशंका बन गई है

सप्लाई में कमी से ग्लोबल मार्केट में बढ़ सकता है चावल का दाम

भारत के द्वारा चावल के निर्यात पर लगाए गए पाबंदियों की वजह से वैश्विक बाजार में 2 मिलियन टन चावल की सप्लाई की कमी हो गई है. विशेषज्ञों और विश्लेषकों के मुताबिक वैश्विक कैरीओवर स्टॉक में 5-8 मिलियन टन की गिरावट का अनुमान है और जिससे चावल की कीमतों में अस्थिरता की आशंका बन गई है. सप्लाई में कमी की वजह से वैश्विक बाजार में चावल की कीमतों में इजाफा हो सकता है.

कारोबारियों का कहना है कि गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध की वजह से देश से बाहर जाने वाला 4.67 मिलियन टन चावल रुका है. हालांकि अन्य चावल निर्यातक देशों ने बाजार में 2 मिलियन टन चावल की अतिरिक्त सप्लाई की है. वैश्विक बाजार में डिमांड और सप्लाई में 2 मिलियन टन का अंतर है. इंटरनेशनल ग्रेन्स काउंसिल के मुताबिक पाबंदियों के बावजूद भारत सरकार खुले बाजार की नीलामी में चावल के रिजर्व प्राइस में कटौती करने पर विचार कर रही है. काउंसिल का कहना है कि भारत 2023-24 (अगस्त 2023-जुलाई 2024) के दौरान शीर्ष चावल निर्यातक के तौर पर उभरेगा.

काउंसिल के मुताबिक एशियाई आयातकों खासकर इंडोनेशिया से कमजोर खरीदारी की आशंका से 2024 में चावल के वैश्विक कारोबार में 2 फीसद की कमी का अनुमान है. हालांकि शिपमेंट में बड़ी गिरावट के बावजूद भारत सबसे बड़ा निर्यातक बना रहेगा. अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) के मुताबिक भारत के द्वारा लगाए गए पाबंदियों की वजह से वैश्विक चावल कारोबार प्रभावित हुआ है.

बता दें कि सरकार की तरफ से चावल के निर्यात पर पाबंदी लगाने की शुरुआत साल 2022 से हुई थी. पहले सरकार ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगाई. उसके बाद सेला चावल को छोड़ पूरे गैर बासमती चावल के निर्यात पर पूरी तरह से रोक लगा दी. उसके बाद सेला चावल निर्यात पर 20 फीसद टैक्स के साथ बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त लगा दी गई. केंद्र सरकार ने सेला (Parboiled) चावल के निर्यात पर जो 20 फीसद एक्सपोर्ट टैक्स की शर्त लगा रखी है, उसे 31 मार्च तक बढ़ा दिया गया है.

Published - January 17, 2024, 01:37 IST