चावल के निर्यात पर पाबंदियों के बावजूद कीमतों पर लगाम नहीं लग पा रहा है. बीते एक साल में दिल्ली में चावल 22 फीसद महंगा हो चुका है. खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 11 अक्टूबर 2023 को चावल का औसत रिटेल भाव 39 रुपए प्रति किलोग्राम दर्ज किया गया है, जबकि पिछले साल इस दिन औसत रिटेल भाव 32 रुपए प्रति किलो था. बता दें कि चावल की घरेलू जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार ने सबसे पहले सितंबर 2022 में टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही चावल की अलग-अलग किस्म के निर्यात पर 20 फीसद शुल्क लगा दिया था. उसके बाद सरकार ने इस साल जुलाई में गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
पिछले साल से जारी है चावल के निर्यात पर सख्ती
बता दें कि भारत की ओर से जुलाई में चावल निर्यात पर पाबंदी का असर ग्लोबल मार्केट में चावल की कीमतों पर दिखाई पड़ा था. फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन यानी FAO के मुताबिक अगस्त के दौरान ग्लोबल मार्केट में चावल का भाव 15 साल की ऊंचाई पर पहुंच गया था. चावल के निर्यात पर सख्ती को जारी रखते हुए अगस्त के महीने में सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर 1,200 डॉलर प्रति टन की न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त लगाने के साथ ही सेला चावल या Parboiled Rice के एक्सपोर्ट पर 20 फीसद टैक्स लगा दिया था. न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त लगने के बाद इससे कम कीमत पर निर्यात की अनुमति नहीं है.
गौरतलब है कि अभी तक ये 2 तरह के चावल ही बचे हुए थे जिनके निर्यात पर किसी तरह की पाबंदी नहीं थी. सरकार का यह फैसला 15 अक्टूबर तक लागू है. कृषि उपज मंडियों में खरीफ धान की आवक शुरू होने के बावजूद सरकार की तरफ से सेला चावल के निर्यात पर लगाई गई पाबंदियों के हटाने जाने की संभावना कम नजर आ रही है. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार सेला चावल के निर्यात पर लगाए 20 फीसद निर्यात शुल्क को फिलहाल बनाए रखने पर विचार कर रही है. अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले निर्यात शुल्क में बदलाव की संभावना नहीं है. घरेलू स्तर पर चावल की बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने चावल के निर्यात पर ये पाबंदियां लगाई हैं. दूसरी ओर चावल के निर्यात पर पाबंदियों के बावजूद सरकारी गोदामों में चावल के स्टॉक में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है.
सरकारी खरीद कम रहने से भी स्टॉक में कमी
गौरतलब है कि सरकार ने फ्री राशन योजना को दिसंबर तक बढ़ा दिया है जिसके तहत 81 करोड़ लोगों को हर महीने प्रति व्यक्ति 5 किलो राशन दिया जाता है और राशन की सप्लाई में ज्यादातर चावल की हिस्सेदारी है जिस वजह से केंद्रीय पूल में स्टॉक कम हुआ है. दूसरी ओर सरकारी एजेंसियों की इस साल की चावल खरीद भी पिछले साल के मुकाबले कम रही है. 4 सितंबर तक सरकारी एजेंसियों ने 569 लाख टन चावल की खरीदारी की है, जबकि पिछले साल अगस्त अंत तक ही 592 लाख टन की खरीद हो गई थी. खरीदारी कम रहने की वजह से भी चावल के स्टॉक में कमी दर्ज की गई है. वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान देश से कुल 223 लाख टन चावल का एक्सपोर्ट हुआ था जिसमें 78 लाख टन से ज्यादा सेला चावल था. चावल निर्यात में बासमती चावल की भी बड़ी हिस्सेदारी है, वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान देश से 45.58 लाख टन बासमती चावल का एक्सपोर्ट हुआ था.